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Sep 2020
दुनिया में रहते हैं
दुनिया वाले फिर भी
यह कहते हैं
लालसाओं के पीछे
भागने से
कमर झुक जाती है
जिस्म बूढ़ा हो जाता है
बाल पक जाते हैं
झुरिया इनाम में
मिलती हैं
तो फिर पशु
जिनकी कोई लालसा
नहीं होती है वो
क्यों नहीं समय के
प्रहार से बच पाते हैं
सच तो यह है
कि इस प्रकृति में
हम तब तक ही
सामयिक है जब तक
हम इसमें
रोज कुछ नया
करने की लालसा
मन में रखते हैं
यह जीवन पर्यंत
बनी रहनी चाहिए
यही सकारात्मकता
भी कहलाती है।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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       Saumya, Yashashvi, Ijaazat, --- and Maria Mitea
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