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Aug 2020
मन काग़ज़ की नाव,
जज़्बातों के समन्दर में बस बहें जा रहा है।
जो ये थम गया तो हैं डूब जाने का डर,
फिर भी ये आगे बढे जा रहा हैं।
-मेघा ठाकुर
Written by
Megha Thakur  25/F
(25/F)   
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   Stardust to Unicorn
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