अक्सर जिन्हें खोने के नाम से ही रूह कांप उठती थी, आज देखों अरसे बीत गए उनसे बात किए। जिनके चेहरे से दिन की शुरुआत होती थीं, आज शाम ढल गई बिना उनका नाम लिए। जो सिर्फ़ अपने मतलब के लिए हमें मरने देने को तैयार थें, आज सोचते हैं कैसे हम उनके साथ जीए। कभी सोचा था ये उम्र भर का साथ हैं, और रिश्ते के नाम पर वो सारे धोखे सहे जो तुमने दिये। उन्हें खुशियाँ देकर, सारे ग़म हमनें पियें। खुद भी जख्मी थें हम, मगर अपने जख्म छोड़ तेरे घाव हमने सियें।