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Oct 2019
की दिन गुजरता नहीं और उम्र कटती चली जा रही,
तेरी तस्वीर इन आँखों मे बस्ती चली जा रही,
की ज़रा सी भी भनक नही तुमको हमारे इश्क़ की,
और ये दुनिया हमारे मोहब्बत की चर्चा करती जा रही।

हम मदहोश हो जाते है तुम्हारी आँखों मे देखते ही,
और तुम हो कि इन आँखों से हमे जाम पिलाती जा रही।

हम खड़े रहते हैं तुम्हारे इंतज़ार में उस राह में जिससे तुम गुजरती हो,
और तुम हो कि हर दिन अपनी राह बदलती जा रही।

हम समझदार समझ के इशारे करते हैं तुम्हें,
और तुम हो कि नासमझ बनती जा रही।

की दिन गुजरता नहीं और उम्र कटती चली जा रही,
तेरी तस्वीर इन आँखों मे बस्ती चली जा रही,
हम इंतज़ार ही करते रहे तुमसे एक मुलाकात की,
और तेरे घर के आगे आशिक़ों की कतार बढ़ती चली जा रही।

हम तड़प उठते हैं तुम्हें किसी और के साथ देख कर,
और तुम हो कि नए दोस्त बनाती जा रही।

हम तो लिखते हैं हाल-ए-अपना हर दफा,
और तुम हो कि मेरे जज्बातों को शायरी समझती जा रही।

हम खत्म तो कर दें इस मोहब्बत के सिलसिले को,
पर तुम हो कि हर बार हमें अपना बनाती जा रही।

#satrutheenemy
Satrughan singh choudhary
Written by
Satrughan singh choudhary  23/M/Varanasi India
(23/M/Varanasi India)   
  439
   Piya
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