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Jayantee Khare
Poems
Sep 2018
क्या हम करें
कुछ अक्स अधूरे नक्स रहे गुम
कुछ आँखें नम कुछ नींद हुई कम
कुछ लफ्ज़ रहे थे कभी अनकहे
कुछ जज्बातों में बेवज़ह कहे
कुछ धड़कन की अजब थी झनझन
कुछ मन की उलझन ख़ुद से अनबन
कुछ याद तुम्हारी कुछ बेक़रारी
कुछ हया हमारी कुछ समझदारी
कुछ कहती वो अपनी खामोशी
कुछ बेख़याली में थी मदहोशी
कब बात बात में बात हो गयी
एक दूजे में दिन रात हो गयी
टूट गयी एक कच्ची डोरी
दिल मिल गए चोरी चोरी
अब इंतेज़ार में दिन है गुजरें
तुम ही बताओ क्या हम करें
Sometimes i write romantic poems.....
#hindi
#love
#india
#jugnu
Written by
Jayantee Khare
45/F/Pune, India
(45/F/Pune, India)
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