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YUKTI
Poems
May 2018
HINDI POETRY
है परवर्दीगार मुझे फकत सुकून की दो गज जमीन अता फरमा
भटकते हुए बीती जिंदगी , एक पवित्र रोशनी दिखी जैसे तेरा इशारा हो
पड़ा , जीया, दौलत कमाई पर लगा जैसे फिजूल जीवन गुजरा हो
सेवा की, सहारा दिया , अमीरों के साथ बड़ा वक्त जिया
फिर भी दिल ने बेचेनी का कड़वा घुट हर पल पिया
थक कर एक दिन तेरे दर पर लेने जवाब आई
बिछा आसन श्रद्धा से तेरे चरणों मे आँखे बिछाई
महसूस किया कि पा ,ली थी दो गज जमीन जँहा मैं बैठी थी
वो सुकून की परछाई तेरे शरण में रहती थी
#linesoncrumpledpaper
#hellopoetry
#indianwriter
Written by
YUKTI
21/F/INDORE ,INDIA
(21/F/INDORE ,INDIA)
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