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Jul 2017
ख़ुदा ने भी मेरी क्या तक़दीर लिखी है,
जिसमे मैं तो हूँ पर मेरी तस्वीर नहीं है,

जिसे अपनी तस्वीर बनाया वो आज फिर बेगाना है,
अकेले आया हूँ और शायद अकेले ही जाना है,

आज मेरी हर लब्ज़ क्यों उन्हें नापसंद है,
क्यों मुझसे खफ़ा,नजाने क्यों मुझसे रंज है,

कितनी उम्मीद नजाने कितनी ख्वाइशें है,
नजाने कितनी शिकायते मुझसे,नजाने कितनी नुमाइशे है,

मेरी भी कुछ ऐसी तक़दीर होती,
बंद होती उनकी आँखे जब नींद से,उनके आँखों में सिर्फ मेरी ही तस्वीर होती,

काश! मोहब्बत की भी ज़ुबा होती,
तो सायद इजहार-ए-मोहब्बत भी शब्दों में बयां होती,

दुनिया की भी अज़ीब दस्तूर है,
जिसे प्यार किया वही हमसे दूर है,
वही हमसे दूर है.......|

Shrivastva MK
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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     Adya Jha and ---
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