तू भी कहीं रूठ ना जाये हिज्र मुझसे कर ना जाये तू भी कहीं मर ना जाये ये सोच कर हम तुमसे ग़िला करते भी तो क्या करते ?
अय ख़स्ताहाल ज़िन्दगी !अय ख़स्ताहाल ज़िन्दगी !
तू भी आजा , फिर औरों से चले भी जाना अपने पैरों से फिर आके यारे परिजद का ख़याल दे और कहना फिर वही बात जाते हुए कि तारा फलक का ज़मीं पे दिखाते हुए कि भूल जा इसे दिल से निकाल दे