Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
 Mar 2016
Tanveer Bhanot
ना जाने क्या बदला है? ना जाने क्या अलग है?
जैसे सब कल था, आज भी वैसा तोह सब है…
वो कल भी वहीँ थे, वो आज भी वहीँ हैं …
हम ना कल थे कहीं भी, ना आज हम कहीं हैं..
टुकडों मे बिखरे थे, आज भी तोह तुकडे हैं...
बिछडे थे वोह जहां पे, हम तोह आज भी वहीँ हैं...
वही सूरज की किरने हैं, वही बारिश का पानी है…
वही नकली सी हँसी है, वही फिर से कहानी है..
जैसे सब कल था, आज भी वैसा तोह सब है…
ना जाने क्या बदला है? ना जाने क्या अलग है?
 Mar 2016
Tanveer Bhanot
जब देखा था तुझे पहली बार ,
जैसे साँस रूक सी गई थी मेरी ,
अगर निकल के आगे तभी
फिर से साँस ले लेता ,
तो आज शायद ज़िंदा होता ।

— The End —