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लोग शब्दों से जताते हैं प्यार
सीने में छुपाये रखते हैं गुब्बार
उल्फत और प्यार समझने को
सीने से लगाना पड़ता है मेरे यार
शब्दों की ज़रूरत नहीं हर बार
दिल की‌ धड़कनें बयां करती
मेरे हमसफर की असली पुकार।।
धूप हो या छांव
तेरा नाम सुबह सांय

तपते रेगिस्तान में
तेरी याद है संबल
जब तू चलती है
लगती नदी चंबल

अरावली की पहाड़ियां
लगती तेरा आंचल
हाड़ौती ‌की तरह
तुझमें है हलचल

मैं सूखा रेगिस्तान
कभी कर रूख इधर
तेरी ‌संगत मिले तो  पीछे
छोड़ देंगे पंजाब और ईडर ।।
ये चोकलेट भी अजीब है
चूसकर खाऊं तो गंवार कहलाऊं
चबाने पर मुंह में ठहरा ना पाऊं
दांतों पर चिपकी सह ना पाऊं
गरमी‌ मिलते ही संभाल ना पाऊं
पैकिंग देखकर रोज ललचाऊं।

तू भी लगती एक चोकलेट
तेरी बातें सुन सुन शर्माऊं
देख देख तुझे लार टपकाऊं
साथ चले तो लोगों से डर जाऊं
ऊंच नीच हो तो तुझे संभाल ना पाऊं
देखें बिना तुझे रह ना पाऊं।

चल‌ मेरी‌‌ चोकलेट
आज से मैं ‌बर्फ बन जाऊं
सिने पर मेरे तू रहे सुरक्षित
बंधन‌ अपना हो जाये अक्षत
दुनिया में ‌निभ जाये दस्तूर
तेरी उंगली के स्वरों का मैं संतूर।।
Feb 2023 · 261
Beauty of Earth
You are cuddly
Like a pretty teddy
Symbol of love & warmth
I am bubbly
Symbol of energy
Our synergy beauty of earth
Feb 2023 · 153
प्रपोज डे
कह दूं मन की बात
इतना आत्मविश्वास ‌हो
कोई सुनले मन की बात
इतना मुझमें कुछ खास हो
रख सकूं किसी की बात
इतना हमेशा जोश हो
यही 'प्रपोज डे' का
संकल्प हो।।
🌹🌹
Feb 2023 · 113
रोज डे
आज 'रोज डे' है
टूटेंगे फूल गुलाब
अर्पण होंगे इस आशा में
कोई प्रेम भरा मिले जवाब
कांटों बीच पनपकर देखो
खुद कहलाओगे गुलाब।।
Feb 2023 · 116
अभिभावक
अभिभावक तो हमेशा ही
कुछ बड़प्पन‌ दिखा जाते हैं
जाते समय सिर मुंडवा कर
एक रूप नया दे जाते हैं।
रात के बारह बजे मेरा दरवाजा खुला
सामने मेरे पिताजी थे
मैं कुछ नहीं बोला
कहने का वक्त कहां मिलता है
जब बदल जाता है चोला
सपने में ही सही मिलकर मन एक बार तो खिला।।
ये तेरी यादें भी‌ निगोडी
हर खुशी, हर ग़म में उभर कर आई
जब खुशियों में यादें आई
हमने मुस्कुरा कर खुशी के आंसू बता हृदय दफनाई
जब-जब ग़म में यादें आई तब-तब
आंसू पीकर प्यास बुझाई।।
कदमों की आहट सुनते ‌ही
मैं पीछे मुड़ा.......
तू है मेरा साया
मैं अकेला क्यों चला ?
चला भी गया अगर छोड़ तुझे
सफल होने ‌पर भी
मुस्कान पाऊंगा कैसे भला ?
Jan 2023 · 267
चाहत
जो दिल से याद करते हैं
उनको मिलाने के लिए
धरती और आसमां दोनों
मार्ग प्रशस्त करते हैं।।
प्यार एक खुबसूरत अहसास है,
इज़हार पर अटकी क्यों सांस है?
हां हुई तो पूर्ण एक आस है
नहीं हुई तो, फिर आता मधुमास है।।
मुझे मेरे अपने ही
विकीपीडिया में ढूंढते हैं
जब सामने आते हैं
कई पहेलियां बुझाते हैं
बात जब कोई मुद्दे की हो
कहते हैं व्हाट्स एप कर देंगे
खाने पीने के नाम पर
जोमेटो को आर्डर कर देंगे
ऐसे माहौल में हम भी
आशिर्वाद ई-मेल कर देंगे
ऐसे ताने बाने के समाज में
प्यार,मोहब्बत, भाईचारा
गूगल भी ना ढूंढ सकेंगे।।
बच्चे होते मन के सच्चे
अच्छा लगता वही‌ करते।।

दिल में उनके प्रभु बसते
मिट्टी में खेल कर वो खुश होते
जीवों से वो दोस्ती करते
सबको अपने जैसा समझते।।

खेल खेल में वो सीखते
चीखते भी वो अच्छे लगते
ऊर्जा का वो भण्डार लगते
उनकी‌ संगत में कोई‌ उदास ना रहते।।

उनके मन को पहले समझो
किसी से उनकी तुलना ना हो
अपेक्षाऐं उन पर‌ अपनी जाहिर ना हो
तभी उनका सच्चा विकास हो।।

हर बच्चे में कृष्ण है
हर बच्ची में ‌राधा
हम देंगे वृन्दावन
जीवन‌ में ना‌ आयेगी बाधा।।
चंदन‌ हो तो माथे लगाऊं
फूल हो तो जेब सजाऊं
तेरी यादों का बेसकीमती हार
गले‌ लगाऊं तो रूके आवाज
हृदय सजाऊं, नैना छोड़े लाज।।
अट्ठावन कल पूर्ण किये
धरा का धरते ध्यान
जब भी बाजी दांव लगी
धरा से ही मिले तीर कमान।।
Jan 2023 · 111
बात आज की
काव्य की विधा वही
जो दिल को छू जाये
मीरा और सूर का गाया
भक्ति रस कहाये
कबीर के बोल
सूक्तियां कहलाये
चन्द्र ने लिखी
पृथ्वीराज रासो
तो बरदाई कहाये
जावेद साहब लिखें
तो गीत मन में छाये
मैं लिख दूं कुछ तो
समझो बात
आज की गाये।।
कला छूती हृदय को
विज्ञान मस्तिष्क के नाम
जब हो हृदय बैठना
कला साधे काम।।

सिद्ध गायकी करते आये
कर अग्नि प्रणाम
धर्म का ध्वज लिए
घूमे चौखण्ड धाम।।

जीवत समाधियां लेकर
रखा धर्म का मान
फिर भी छुपे रहे
जैसे पहेली गुमनाम।।

कोमल सिद्ध ने जब जीता
मरवण का खिताब
राजस्थानी संस्कृति
का दुनिया में बढ़ा रूवाब
ना धर्म ध्वज ,ना चौखण्ड फेरी
फिर भी दुनिया पहुंची आवाज।।
सर्दी में अंगुलियां लाल हो
खुजली फिर आने लगे
सरसों तेल की मालिश
बार बार मांगने लगे
समझो जवानी है जाने लगी।।

लोग कभी कभी पूछते हैं
स्वास्थ्य ठीक है ना
बच्चे ध्यान रखते हैं
गर्म पानी से नहाये हो ना
समझो जवानी है जाने लगी।।

बच्चे पेंशन कितनी बनेगी
ये जब पूछने लगें
तुम्हारे स्वास्थ्य के प्रति
तुमसे ज्यादा सचेत होना दिखाने लगें
समझो अब नम्बर हैं घिसने लगे।।

कोई बुढ़िया दु:खड़ा
तुम्हें अपना समझ के सुनाने लगे
उसकी बातों की गहराई को
जब समझने तुम हो लगे
समझो संजीदा तुम होने लगे।।

मन‌ तुम्हारा यह सोचने लगे
मेरे पास आनंद का समय कम है
मस्ती करने की इच्छायें
हिलोरें जब मारने लगें
समझो ये इच्छा कम, कुंठाओं का प्रलाप ज्यादा
कदम सोच- समझ कर उठाना
असल में तुम हो सठियाने लगे।।
Jan 2023 · 247
ज्ञानदीपक
एक लेब , एक पाम
तेरी शान में दो मोती
वफ़ा की मिशाल ये
ऊर्जा तू इनसे पाती
कितना सुन्दर दृश्य होगा
जब जब तू इनसे बतियाती
श्रद्धा तेरी इनमें है
तू इनकी श्रद्धा कहलाती
चमक तेरी आंखों की
तेरी हर बात कह जाती
दुनिया चाहे तेरी छोटी है
तुलसी तेरे आंगन बसती
तेरे ‌शहर की हवा पवित्र
जो तुझको छूकर है आती
सुन्दर सा तेरा जीवन‌ है
ज्ञान‌दीपक बच्चों का कहलाती।।
जनवरी में ठंड गुलाबी
मैं ऊनी वस्त्र पहनूं
तिल तड़कूं, तेल उबटाऊं
बन सूवटा सा रहूं
मेरे मन की मैना बोले
पानी देख घबराऊं
सूरज की सुस्ती देख
मैं आलस गले‌ लगाऊं ।।
तू गुड़ मीठा मीठा
मैं तिल गर्मी लिए
तेरे और मेरे मिलने से
लड्डू मकर संक्रांति
के हो लिए।।

तू डोर चंचल चंचल
मैं पतंग रंगीले रंग का
तेरी आदत कभी ढील की
कभी कस-कस पेंच खींचने की
दूर जाकर समझ आया‌
मैं राही तेरे इशारों का।।

तू ही डग्गा , तू ही तिहली
मैं ढोल कसी चमड़ी वाला
तेरे हाथों के जादू से आवाज
निकलती दे ताला दे ताला।।

तू ही भांगड़ा तू‌ ही घूमर
तू ही जीवन सुर-संगीत लिए
तेरे शब्दों में ‌वह ऊर्जा
जैसे माघी धूप तरूणाई लिए।।
माघ की सर्दी में
कंबल लगे प्यारी
गर्म-गर्म  व्यंजनों
से होती है यारी
पर कमाने के नाम पर
घर छोड़ना भारी।

दिन में धूप गुनगुनी
रात में रजाई
अकेले को रात में
सपने बहुत डराई
जोड़ों को सुबह
देर से आए जगाई।

नहाने का पानी देख
बी पी ही बढ़ जाई
माघ रे माघ तू
खेल दुरुह रचाई
सपने वाले हैं मुश्किल में
हकीकत सोते रह जाई।।
कुछ सर्दी का कहर
कुछ मुश्किल पहर
मिले तो‌ मुर्झा जाते हैं
सदाबहार से शजर।।
Jan 2023 · 203
सच्चाई
ख़्वाबों के पंख होते हैं
उन्हें कोई पकड़ नहीं पाता
तेरी आंखें समुद्र हैं
मैं बाहर नहीं आ पाता
दोष ना ख़्वाबों का ना तेरा
इस जमीन पर रह कर
मैं सच्चाई समझ नहीं पाता।।
मैं लिखता शायरी
जिससे भरती डायरी
तेरे शब्द नशे की पुड़ियां
जिससे दबती मेरी नाड़ियां
नया साल है रखना ख्याल
कहीं ना बदले मेरी चाल
गर बदल जाये मेरी चाल
फिर तू लिज्यो मुझे संभाल
मेरी जुबां पर है तेरा आलाप
आंखों देखें तुझसे मिलाप।।
तुम एक किताब हो
जिसके पृष्ठ हैं बेसुमार
पढ़ते-पढ़ते मैं हुआ
अब चंचल से लगनवार
ना गीता ना बाइबल तू
फिर भी दोहराने के काबिल तू
दोहरा - दोहरा के मैं हुआ पागल
कर तेरे एक श्लोक में शामिल तू
दुनिया रूपी युद्ध भूमि में
तू ही एक ढाल है
तेरे भावों से भरा हुआ
मेरा यह कपाल है
क्रिसमस की तरह प्रेम
की तू अद्भुत मिसाल है
तेरी लगन में डूबा रहना
लगता है जश्न का माहौल है।।
शिकवे- शिकायतों को दफनाकर
जिम्मेदारी की गठरी उठाता चल
यादों, तन्हाइयों और रुशवाइयों को
फंतासियों से ही सही, मिटाता तो चल
बेशक ख्वाब काल्पनिक हों
पर निराशा असल मिटाता चल
जीवन की जंग में सब जायज़ है मोहन
तू कोई तीर हमेशा तरकश में तो रख।।
खुशियों के पल
जीवन में केवल उपहार हैं
घंटों के मेहमान
ये नहीं वफादार है
रंग-बिरंगे तेवर वाले
ये नहीं सदाबहार हैं
ये अविश्वसनीय,अकल्पनीय
जीवन की हकीकत से
इनका कम ही सरोकार है।।
Dec 2022 · 97
एक पड़ाव
आंसूओं को एक उम्र के
पड़ाव के बाद ‌ना‌ करें बर्बाद
देखने वाला‌ कोई नहीं
उल्टे आंखें होंगी खराब
यदि हृदय उमड़े तो
करो पुराने दोस्त याद
सोचो‌ जो‌ साथ रहते थे
उनकी‌ भी तो थी एक मियाद
नयी पीढ़ी में अब नहीं
वह पुराने जज़्बात
सोशल मीडिया की स्रोता
ना समझे आपकी बात।।
उम्र पांच दहाई की
सफेद चांदी बालों में
आकर्षक लालिमा गालों में
अनुभव की लकीरें माथे में
कुछ पूंजी खाते में
सचा सहारा जीवनसाथी का
यह दौर होता है बेबाकी का
कर सकते हैं कुछ मन की
पहन कुर्ता रूहानी रंग का।‌
दर्द जो छलक जाये
कुछ रिश्ते तो ढह ही जायें
दर्द जो दबा लिया जाये
रिश्तों की दवा बन जायें
दर्द जो साध लिया जाये
कोई नई मंजिल दिलायें
कुछ दर्द ऐसे जो कोई
भी समझ न पाये
वही दर्द ऐसे हैं जिनका
कोई परिणाम न आये ।‌।
दक्षिण से शुरू एक संदेश
"भारत जोड़ो" जिसका नाम
बच्चे, बड़े और बुजुर्ग शामिल हो
फैला रहे हैं एक पैगाम
भारत देश की खूबी है
अनेकता में एकता
गहराइयों तक डूबी है
सड़क पर उतरें मां-बहनें
समझो बड़ी‌ मजबूरी है
मंहगाई और बेरोज़गारी
इस वक्त सब पर भारी है
भूखे प्यासे जब हों इकट्ठा
समझो  बात अब न्यारी है
भावनाओं के‌ सागर में
डूबे हमेशा अंहकारी हैं
शब्दों से ना करो आखेट
करोड़ों का खाली है पेट
करोड़ों हाथ बिना काम
कहां जायेंगे चढ़ बुलेट
जागो जागो अब भी जागो
कहीं और हो जाये ना देरी
प्रजातंत्र की रणभेरी
ना तेरी है ना है मेरी।।
कभी उसे गुलाब कहा
कभी बाग की बुलबुल
उसकी प्यारी बातें मेरे
दिल मचाती हलचल
एक दिन उसने माथे बांधा
हरी चुन्नी का साफा
मैंने चाहत यूं जताई
कहा तुम हो कली गुलाब
उसने कुछ यूं फरमाया
तुम हो फूलगोभी जनाब
मेरे रंगीन सपनों का
एक लफ्ज़ में हुआ हिसाब।।
खाना हमेशा ही अच्छा होता है
बस विकल्प का खेल है
बीवी बनाये कई सब्जियां
फिर भी नाक सिकुड़ती है
अकेला रह कर वही व्यक्ति
मिर्च खाकर कहता मस्ती है
समझाये कोई समझ ना पाये
वक्त के हाथ नकेल है।।
चलो थोड़ा पहले जैसा बन जाते हैं
कमसिन सी तेरी पेंटिंग बना उसमें
गुलाबी सा रंग भरकर
ओस की दो-चार बूंदें माथे पर बनाते हैं।

कानों के कोनों में तेरी मनपसंद
इत्र के फाये दबा कर
कान के पास जाकर फूलों का एहसास पाते हैं।

सिर पर छोटे-छोटे काले बाल फिर से बनाते हैं
बालों को कानों पर लहरा कर
घटाओं सा एहसास पाते हैं।

सजल सी आंखों में
नीली झील सी पुतलियां बनाकर
उनके द्वारा  दिल की गहराइयों में उतरते हैं।

खोलकर होठों को गुलाब की पंखुड़ी सा बनाते हैं
बीच में संगमरमरी दांत बनाकर
हंसता हुआ एक चेहरा सजाते हैं।

फिर काली आधी बाजू की टीशर्ट पहनाते हैं
ऊपर के दो बटन खोल कर
फिर से पुरानी ‌यादों में खो जाते हैं
चलो थोड़ा पहले जैसा बन जाते हैं।।
माना कि कुछ
उम्मीदें मेरी झूठी हैं
वक्त के साथ-साथ
उनमें से कुछ टूटी हैं
फिर भी यादों से
तो अच्छी हैं
उम्मीदें ‌मेरे सपनों
को पंख‌ तो देती हैं
यादें इस काम में
एक दम कच्ची हैं।।
Nov 2022 · 106
सविता
तुम जो कहदो दो शब्द
बन जाये मेरी कविता
यह सर्दियों का समय है
तुम हो मेरी सविता।।
वह जब भी पूछती ‌है
"कहां हो तुम ?"
मैं कहता हूं अभी तो
तुम्हारे विचारों में हम
अगर देखना है आंखों से
बन जाओ आईना तुम
यदि महसूस करना है
मेरी रूह में बस जाओ तुम ।।
शक से शक‌ उपजे, डर से डर
मनन से ज्ञान और धैर्य से जीत
निडर है सत्य, छिपता है  घात
जिंदादिली जीवन है, आस्था में प्रीत।।
यह दीवाली आई निराली
हुई दो घटनाएं ना भूलने वाली
एक में बल्लेबाजी ऐसी चली
पड़ोसियों की उड़ा दी खिल्ली
तब दीवाली  'विराट' हो चली।
दूजी में गोरों के देश में
ऋषि सुनक को कमान मिली
अंग्रेजों के दास रहे कभी
आज उनके सरताज हुए
भारतीयता के समय दर्शन
के आज वो मोहताज हुए
वक्त का तकाजा है
गोरों के तख्त एक
भारतीवंश विराजा है।।
रेशमी लिबास में
चंदन सा बदन
दीपक के उजाले सा
तेरा सुंदर मन
रखड़ी ,कंठी ,चुड़ला‌
तू चलता हुआ चमन
दीवाली ने रंग‌ भरा
रंगत आई हुस्न ।।
Oct 2022 · 135
जलती बाती
आज एक दीप ऐसा जले
मेरे दिल की लौ बनकर
उसके‌ दिल को‌ रोशन करे
स्याह रातों के पहरे में
जलती बाती देखकर
मुझको वह‌ महसूस करे ।।
Oct 2022 · 109
भाव और चाव
मिठास मिठाई से ज्यादा
देने वाले के भाव में होता है
आनंद दीवाली मनाने से
ज्यादा इसके चाव में आता है।।
राजनीति सीधी‌ नहीं ‌
इसके पेंच अनेक
दिखता कुछ‌ और यहां
अन्दर लाख फरेब
ताज सजे ही जानिए
इसका रूप जलेब
खड़गे जी को मिली कमान
थरूर को हजार‌ का सम्मान।।
पढ़ लेते हैं ‌वो मेरे
दिल के जज़्बात हर रोज
रहकर फिर भी खामोश
करते हैं ‌वो मेरे दिल‌ में
उठे ज्वार की खोज।।
साथ रहें तो खायें क्या
दूर रह कर जीना क्या
यदि ना हो दुनियां में ऐसा
फिर होठों का सीना क्या?
आज  पंद्रह अक्टूबर
राजस्थान के काश्तकारों का दिन है
आज के दिन ही काश्तकारी
अधिनियम लागू हुआ था
काश्तकारी अधिनियम से ही
खातेदारी अधिकार मिले हैं
कुंभाराम आर्य जैसे किसान मसीहा
इस धरती‌ पर किसान हित में लड़े हैं
तब जाकर आज कहीं काश्तकर
गर्व से खातेदार कहलाते हैं
वरना जमीं जमींदार की
इस साल तूने जोती
अगले साल‌ किसी‌ और की।।
दोनों गौ वंश
गायें खेत में हरा चरे
बछड़े सड़क पर दिख जायें
तो भी पीठ लाठी परै
विधि का विधान‌ ये देख
मेरे नयन नित अश्रु ढरै।।
काचर - फली की सब्जी
बाजरे की रोटी
कार्तिक मास की पहचान
इससे ही होती
थोड़ा सा‌ घी सब्जी में
बाकी बाजरे की रोटी
में दीजिए पीलाय
मार पालथी बैठ ज़मीं
बड़ी रूची से खाय
ना गर्मी का खौफ
ना सर्दी हाड़ कंपाय
रेगिस्तान की धरती पर
बस ऋतु यही सुहाय।।
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