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Nov 2020
मेरी खुशी
यारों की अमानत है
मेरी जिंदगी उनकी
दुआओं से सलामत है।

मैंने जिंदगी के फर्ज
निभाए हैं फिल्मी तर्ज
अब इस ऊंघते से समय में
नहीं है कोई मर्ज
ठहाके लगाने में अब
नहीं है कोई हर्ज।

मेरी बातों में अब
नहीं है कोई रंज
मेरी चालों में
नहीं है शतरंज
मैं तो टिमटिमाता
दीपक हूं ख्यालों का
जिसको इंतजार रहता
यार मतवालों का।

मैंने अपनी जिंदगी पर
समझा नहीं अपना हक
इसलिए जो करना है
करता हूं बे-शक
जीता हूं आज को
ना करता चिंता नाहक।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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