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Mohan Jaipuri Nov 2020
मेरी खुशी
यारों की अमानत है
मेरी जिंदगी उनकी
दुआओं से सलामत है।

मैंने जिंदगी के फर्ज
निभाए हैं फिल्मी तर्ज
अब इस ऊंघते से समय में
नहीं है कोई मर्ज
ठहाके लगाने में अब
नहीं है कोई हर्ज।

मेरी बातों में अब
नहीं है कोई रंज
मेरी चालों में
नहीं है शतरंज
मैं तो टिमटिमाता
दीपक हूं ख्यालों का
जिसको इंतजार रहता
यार मतवालों का।

मैंने अपनी जिंदगी पर
समझा नहीं अपना हक
इसलिए जो करना है
करता हूं बे-शक
जीता हूं आज को
ना करता चिंता नाहक।।
Mohan Jaipuri Nov 2020
माना चारों तरफ मंदी है
ऊपर से कोरोना काल
मिलने की अभी सूरत नहीं
अकेले पड़े हैं निढाल
ऐसे में सोशल मीडिया
पर ही महफिल सजाओ
ले तकनीक की ढाल
खुद को इतना मजबूत करो कि
डरा ना सके ये जाड़े का जंजाल
सारे शायरों जवान हो जाओ
श्रोता और पाठक हो‌ जायें निहाल।।
Mohan Jaipuri Nov 2020
कार्तिक तक ठंडे से नहाये
थी दिवाली की आस
अब मार्गशीर्ष ले आया
जाड़े की सौगात
गर्म पानी नहाना शुरु किया
अब सिर खुश्की का वास
फाल्गुन जब आयेगा तब होगी
ठण्डे से नहाने की औकात।।
Mohan Jaipuri Nov 2020
Be cautious
While using words
Coz these live
longer than us.
Mohan Jaipuri Nov 2020
रखो शब्दों की मर्यादा,
इनकी उम्र है हम से ज्यादा।।
Mohan Jaipuri Nov 2020
जिसने भूत को छोड़कर
वर्तमान में जीना सीखा है,
वह यह नहीं देखता
कि पीछे छूटा क्या है?
रूह उसकी कभी टूटती नहीं,
जिसका खुदा खैरख्वाह है
दीपक का काम‌ है प्रकाश देना
भले ही खुद का पैंदा स्याह है
मेरे दुर्गुणों का हिसाब न रखना
उनका फल मुझे ही मिलना है
मेरे सद्गुणों को ही याद रखना
यही मेलजोल की एक राह है।।
Happy Diwali " the festival of lights in India today" to all HPians. Wish you all stay safe and healthy.
Mohan Jaipuri Oct 2020
अक्टूबर मीट में आ गए हैं
चौरासी के गबरू।।
       सांसे हैं महकी सी
       फिजां है बहकी सी
उछल कूद मचा रहे हैं
जज्बातों के पखेरू।।

       स्वप्न सी इस संध्या में
       धूम मचाए वारुणी
       ज्यों ज्यों हलक उतरती जाए
       बनती जाए रागिनी।
सहज ही संगीत पनप रहे हैं
बिन पायल बिन घुंघरु।।

       अक्टूबर मीट में आ गए हैं
       चौरासी के गबरू।।
October zooms when winter booms.
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