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Mohan Jaipuri Oct 2020
Past has gone
Still in memories
Future is unknown
Still worries
Present is fortune
But we a'nt in tune
That is why
We face ruin
Mohan Jaipuri Oct 2020
चला जाता है अतीत
यादों में फिर भी बना है रहता
भविष्य का नहीं है पता
फिर भी यह जीने नहीं देता
वर्तमान है जीवन का भाग्य विधाता
इसका उपयोग करना नहीं आता
बिना दृढ़ निश्चय के
संबल इसको बना नहीं पाता
जीवन की इस भूलभुलैया में
इतनी सी बात मैं समझ नहीं पाता।
Mohan Jaipuri Oct 2020
मशीनी रिश्ते, संस्कार छूटते
शिक्षा दिखती बेरोजगारी बांटते
सोशल मीडिया समय खाते
और नफरत उगलते
प्रेस लगती बिक कर छपते
खेती दिखती लुप्त होते
डांस खाते 'थैक' पर गोते
खेलों को अब सट्टे लीलते
खाने को रसायन मिलते
खबरों में पढ़ने को
'रेप ' के समाचार मिलते
कपड़े आजकल छोटे ही सिलते
फूल अब ज्यादा कृत्रिम ही मिलते
जिम्मेदार दिखते झांसा ही देते
इस कोलाहल में यदि राम होते
ना धनुष ना बाण उठा पाते
देख देख सिर्फ माथा पीटते।
Today is Dussehra,"the festival of the win of truth over evil " in India.
Mohan Jaipuri Oct 2020
सफेद एप्रन पहनते शेफ
सिर पर सफेद 'टोक'
किचन का गर्म माहौल सहकर भी
पूरा करते हमारे खाने के शौक
काट - छांट की अद्भुत कला
सही पकाने की विधि
परोसने की अद्वितीय कला
पैदा करती खाने में प्रीति
ज्यादा कुछ ना सीख पाएं तो भी आज
सीख लो इनसे 'स्वस्थ खाने' की प्रकृति।

स्वस्थ खाने की‌ प्रकृति- Nature of healthy food.
Congratulations to all chefs on international chefs day for their services to the society.
Mohan Jaipuri Oct 2020
आज दिवस भला उगा
नवरात्र का आगाज
घर में ब्याई कूकरी
लाई पिल्ला पांच
घर गूंजा किलकारी से
मैं रहा हूं‌ पुस्तक बांच
अब दिन जरूर फिरेंगे
यह बात है बिल्कुल सांच।।
Mohan Jaipuri Oct 2020
टिबों में रहते - रहते,
अब मैं खुद एक टीबा बना
तुझसे बिछुड़ने के बाद से ,
यह भेद मैंने जाना।
Mohan Jaipuri Oct 2020
जीवन जटिल से जटिल हुआ
उम्र के हर मुकाम पर
जीवन की साध बढ़ती गई
इसके हर नये आयाम पर
चाहा था संगीत,मिल रहा है क्रंदन
यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण

संबंधों की पकड़ ज्यों ज्यों ढीली पड़ती
अंदर की छटपटाहट बढ़ती
भावों का उभार आता
त्यों त्यों सहने की ताकत बढ़ती
सत्य स्वीकार नहीं,झूठ का है अभिनंदन
यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण

प्रश्नों पर मनन नहीं ,उनका करते हैं दमन
उत्तर कहां से पाओगे,जब मन में नहीं चैन
आरोपों की नाव पर कब तक होगी सवारी
एक दिन तो खत्म होगी ये सब‌ खवारी
ये खुराफाते तब तक लील जाएगी जीवन
यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण
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