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Arvind Bhardwaj Mar 2016
ऐ साकी, ज़रा इस महफ़िल में पैमाने जाम तो दे,
थकी है तेरी रूह भी अब तो, इसको कुछ आराम तो दे।
ऐ साकी, ज़रा इस महफ़िल में पैमाने जाम तो दे,

रुत्बा-ए-महफ़िल है, लम्हों की सरगोशी है,
आज इस हवा में अजब सी मदहोशी है,
तू इन मदहोश हवाओं को तूफ़ानी अंजाम तो दे,
ऐ साकी, ज़रा इस महफ़िल में पैमाने जाम तो दे।

— The End —