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Nov 2020
मैं बैठा था यूँ ही
मग्न अपनी सोंच मैं।
मुझें याद हैं कुछ लिख रहे थे
अध्यापक ब्लैकबोर्ड पे।

खिड़की से निकलकर एक धूप की किरण ने मेरे गालों को छुआ
मैं एसे ही अपने किताब में कुछ लिख रहा था
पता नहीं मुझे क्या हुआ
मुझें अपना बचपन दिख रहा था।

बाहर दो कबूतर लड़ रहे थे
वह दिन मुझे अब भी क्यूँ याद हैं?
बच्चे हँस रहे थे, झगड़ रहे थे।
खैर अब वह दिन बीत चुका
मेरी समय से बस यही फरियाद हैं।

मेरा दोस्त मुझसे कुछ कह रहा था
मैं यह कविता लिख रहा था
और मन ही मन मुस्कुरा रहा था।
Daivik
Written by
Daivik  18/M/UtopiaDystopia
(18/M/UtopiaDystopia)   
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   Amrita jain
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