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Jul 2020
चलते रहो और आगे बढ़ो,
तोह बस हम भी चल पड़े,
अपनी रूह की तलाश में,
पहाड़ो पे चल दिये, नदिया किनारे पे बैठ लिए,
जहन दो पल सुकून, हर वो जगह पे चल दिये,
यह पीड़ा, यह चोट जोह लगी ह इस रूह पे,
इस एहसास को मिटाने की हमारी यह लाखों कोशिशें जोह ठहरी ,
उझाला भी अंधकार है, रोशनी की तड़प में जतपटाते से चल दिये,
आंखें जैसे बटन की तरह खुली, बन्द करने पे मौत और खुली रहे तोह अन्धकार,
जाऊ कहाँ बताओ ज़रा, हर पल सलाह देने वाली मंडली का पत्ता ही बता दो ज़रा,
पूछेंगे उनसे हमारी रूह का पता,
टोटके तोह बताएं कैसे करूँ इससे रिहा ,
कहलेंगे इस रूह को रो भी लो ज़रा,
फुट फुट के रोयेगी, इस घुटन के फांदें को तोड़ेगी,
मलहम लगाएंगे उन गहरी चोट पे , प्यार से सिरहेँगे, सुकून की लोरी जोह गाएंगे,
बिछड़े हुई साथी को फिरसे जीना सिखाएंगे।।
Written by
Meraki
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