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May 2019
जो होना है होकर रहेगा
हम तो बस निमित्त मात्र हैं
कल तक था सिपहसालार जिनका
आज उनकी नजरों में शून्य मात्र हूं
सद्बुद्धि देना हे मेरे ईश्वर
अगर मैं कहीं अटकता हूं
रखना हमेशा सत्य की लाज
सत्य बहुत खटकता है
हमेशा नंगा रहता है
ना कभी स्वरूप बदलता है।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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