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Sparkle in Wisdom
Poems
Feb 2019
चल पड़ा
जाने कितने
तूफान आए
चल पड़ा में
सपना लिए,
ना रुका
ना झुका
ना थका
बस बढ़
चला
अडिग
अमिट
गतिशील।
आवाज़ें सुनाई दी
बुलाती
पुकारती
रोकती
प्रलोभती
पर
चल पड़ा में
सपने पाने
बढ़ चला में
राह अनजाने।
ना मोड़
की खबर
ना पहाड़ों
की चिंता
हासिल करने
नामुमकिन
मुमकिन इरादों
से भरा
चल पड़ा
बिन रुके
बिन झुके
बिन सोचे।
बस
चल पड़ा
चल पड़ा।
Sparkle In Wisdom
Written by
Sparkle in Wisdom
43/F/West Africa
(43/F/West Africa)
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