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Sep 2018
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कुछ बारिशें कुछ मस्तियाँ
उन ज़ुल्फों से अटखेलियां।
वो बहार थी जो गुज़र गई
अब गर्दिशों का ग़ुबार है।।

वो समा था वस्ले ख़ुमार का
ये फ़िज़ा है तन्हा उदास सी।
शाख-ए-ग़ुल की बात क्या
ये हयात उजड़ा दयार है।।

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©deovrat 28.09.2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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