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May 2018
शिरोमणि , मातृभक्त , शूरवीर , सिसोदिया वंश के युवराज थे ।
किया समर्पित तन , मन , धन ऐसे महाराणा प्रताप थे ।

लोभ , मोह , भोग , विलास सब छू भी ना उनको पाता था
स्वाभिमान देख उनका पाषाण भी शीश झुकाता था

घर , परिवार , आराम का विचार भी ना हृदय तक आता था
इतिहास का वो पन्ना भी सम्मान से लिखा जाता था

काली मुगलिया छाया में वो उजले प्रभात थे
मातृभूमि के तेजस्वी पुत्र वो महाराणा प्रताप थे

चुनी घास की रोटियाँ , महलों का 56 भोग ठुकराया
तिलक किया मातृभूमि को लहू से , विजय पताका फहराया

हाथ जोड़ नतमस्तक है धरती का हर एक कण
धरती माँ तेरे नाम किया जीवन का हर एक क्षण

हीरे जवाहरात कब भाये पहने स्वाभिमान का ताज थे
रक्त से लिखी स्वयं की गाथा वो महाराणा प्रताप थे
वो महाराणा प्रताप थे
Bhakti
Written by
Bhakti  26/F/India,Indore
(26/F/India,Indore)   
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