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Deovrat Sharma
Poems
Apr 2018
मुंतज़िर
...
परवाने की आदत है..
शम्मा पे यूँ जल जाना !
अंज़ाम-ए-मुहब्बत को..
परवाना ना जाने है !!
~~~
हम से उनका मिलना..
यूँ मिल के बिछड़ जाना !
कुछ क़ब्ल की बातें हैं..
कुछ गुज़रे ज़माने हैं !!
~~~
किस्मत की लकीरों पे..
कुछ ज़ोर नही गोया !
शिद्दत से, जुस्तुजू के..
कुछ राज़ छुपाने हैं !!
~~~
हम उनके मुंतज़िर हैं..
जो मिल के बिछड़ते है!
कुछ पल का वो मरहम है..
और सब ज़ख्म पुराने हैं !!
...
(c) deovrat-24.04.2018
#love
#intensity
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
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