... ना तो वो ही हम से वाकिफ़, ना तो हम ही जानते हैं ! मंज़िल की बात क्या हो, राहें भी तो ज़ुदा हैं !! ~~~ यहाँ दिल-से-दिल का मिलना, इक इत्तेफ़ाक समझो ! ख़यालों में भी मुसलसल, सदियों के फ़ासले हैं !! ~~~ यहाँ दोस्तों से मिलना, एक हसीन हादसा है ! यहाँ फूलों की है ख़ुशबू, हर ओर वलवले हैं !! ~~~ ना तलब पसंदगी की, ना ही कुरबतों की चाहत ! दो लफ्ज़-ए- आफ़रीनी, बातों के सिलसिलें हैं !! ~~~ (c) deovrat - 04.04.2018