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Mar 2018
कुछ रातें इन्तज़ार में बीतीं
कुछ रातें इज़हार में बीतीं
कुछ रातें हम खामोश रहे,
कुछ रातें इनकार में बीतीं।

कुछ रातें हमने मनाया उसे
कुछ रातें उसने सताया मुझे
कुछ रातें हम खामोश रहे
कुछ रातें उसने रुलाया मुझे।

कुछ रातें हम साथ थे
कुछ रातें हम दूर थे
कुछ रातें तन्हा थीं बहुत
इस क़दर हम मजबूर थे।

कुछ रातें सिर्फ रात ना थी
उन रातों में वो बात ना थी
कुछ रातें वो रात ना आई
रात आई पर वो ना आई।

फिर एक दिन वो रात आई
जिस रात के बाद
फिर कभी ना वो रात आई
फिर कभी ना वो रात आई।

Lazy_winds
Satrughan singh choudhary
Written by
Satrughan singh choudhary  23/M/Varanasi India
(23/M/Varanasi India)   
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