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Mar 2018
बेहद खामोश है आज लब मेरे
लफ़्ज़ों का बवंडर जहन में उठा है
चल पड़े है कदम रोज की तरह
मेरा जिस्म कई पीछे खड़ा है
किसी जस्बात का दीदार नही मेरी आँखों मे
जिम्मेदारियों का ढेर सामने पड़ा है
Bhakti
Written by
Bhakti  26/F/India,Indore
(26/F/India,Indore)   
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