... जब न था इश्क दर्दे-ए-दिल न था! जब से उनसे उलझी नज़रें बेकली सी हो गयी!! ** *इब्दिता-ए-इश्क में.. उनके उठाए नाज़-ओ-खम! अब ना जाने अपनी फ़ितरत... बेवफा सी हो गयी!!
** चन्द लम्हे साथ था वो फिर हो गया नज़रों से दूर! उनके दिल से अपने दिल की गुफ्तगू तो हो गयी!!
* *वो नज़र से दूर है पर है तो दिल के आस पास! रूह को तसकीन है पर दिल को मुश्किल हो गयी!!