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Jun 2017
अब खतों के जल्द जवाब नहीं आते,
पता नहीं क्या बदल गया है?
पता या लोग?

अब दरिया में वो सैलाब नहीं आते,
पता नहीं क्या बदल गया है?
बहाव या ग़हराव?

अब रातों में वो ख्वाब नहीं आते,
पता नहीं क्या बदल गया है?
लगाव या तनाव?

अब खैरियत के तलबदार नहीं आते,
पता नहीं क्या बदल गया है?
झुकाव या चुनाव?

चाँद से वो ज्वार नहीं आते,
पता नहीं क्या बदल गया है?
आफ़ताब या खिंचाव?

अब इस घर में किरायेदार नहीं आते,
पता नहीं क्या बदल गया है?
हिसाब या रखरखाब?
Sorry non-hindi friends.. soon i will translate this in english...
Jayantee Khare
Written by
Jayantee Khare  45/F/Pune, India
(45/F/Pune, India)   
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