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Mohan Jaipuri Feb 2021
पेट सफा
तो सबसे वफा
पेट खफा
फिर जफा
ही जफा।।
😄😄😄
Mohan Jaipuri Jun 2022
खोए तो वैसे ही रहते हैं तेरे ख्यालों में
आज तेरा आसमानी लिबास देख
तुझे ढूंढ रहा हूं आशाओं के गगन में।।
215 · Mar 2019
औरत का रूप
Mohan Jaipuri Mar 2019
आज एक अद्भुत ऑडियो सुना
दो अनोखे किरदारों को जाना
एक और पुरुष की लंपटता की
विशाल दिखावटी पोट
दूसरी और एक सच्ची औरत की
उस पर कारगर व शालीन चोट
अब तक ऐसे‌ संवाद फिल्मों में देखे थे
पर आज प्रत्यक्ष सुने थे
सुनकर हम सन्न रह गए
हमारा दिल कुछ सोच न पाए
औरत घर को बांधती है
अपने दर्द को‌ हरदम छुपाती है
दूसरे घर की औरत का दर्द
उतना ही बखूबी समझती है
काश! पुरुष औरत को समझ
अपनी झूठी ज़िद छोड़ दें
अपने घरों को औरतों के
फैसलों पर मोड़ दें
संसार सुंदर खुशहाल हो जाए
और बच्चे नेक इंसान बन जाएं।
215 · Dec 2018
# मी टू #
Mohan Jaipuri Dec 2018
जब हम छोटे बच्चे थे,
तोते को मिटू कहते थे।
मीटू वही बोलता था,
जो उसे सिखाते थे।
समय ने पलटी मारी,
मीटू वह बोलने लगा,
जो दुनिया में होने लगा।
अक्टूबर 17 में,
एलिसा मिलानो ने,
एक मी टू टि्वटर पर छोड़ा,
और मीटू धाराप्रवाह बोला।
मीटू मीटू सुन सुन के,
दुनिया के कान खड़े हुए।
पहले ही दिन 2 लाख,
निकले मुद्दे गड़े हुए।
भारत देश महान है,
छुपाना इसकी शान है।
साल भर बाद जब पापी घड़ा भरा,
यहां भी मी टू बड़ा उभरा।
कोई खेर, कोई रजत -भगत,
कोइ नाना प्रचार में आए।
कोई खास से आम हुए,
कोई संस्कारी बदनाम हुए।
हर संस्था में इसके,
चर्चे बड़े आम हुए।
जिस मजबूती से प्रचार हुआ,
उससे ही मजबूरी का भान हुआ।
चाहे चटखारा, चाहे मसखरी,
बातें हैं सब खरी खरी।
दिन बदल गए हैं भाई,
जमाना लद गया है भाई।
नारी की गरिमा समझो,
उसको पूरा सम्मान दो,
जोर - जबरदस्ती बेकार है,
अब शब्दों की ही सरकार है।
इसलिए सब धरो ध्यान,
शील शब्द का रखो मान।।


शुभकामनाओं के साथ मी टू को समर्पित
मोहन
215 · Oct 2019
एक शेफ
Mohan Jaipuri Oct 2019
हर घर में एक शेफ है
शेफ ही घर की सेहत है
जिस घर की शेफ संजीदा है
वह घर सबसे अलहदा है।
A chef
214 · Nov 2019
रंगमंच
Mohan Jaipuri Nov 2019
जब बारूद हो सीने में
ईमानदारी हो चरित्र में
विवेक हो व्यवहार में
ऊर्जा हो थोड़ी हाथों में
आत्म -विश्वास हो साथ में
          फिर ऐसा कोई पत्थर नहीं
          जिसमें इमारत है नहीं
          जिसमें ऊर्जा पायें नहीं
‌‌          जिसमें आशा की नदी है नहीं
दुनिया खेल नहीं लकीरों का
यह रंगमंच है सृजन वीरों का
चमत्कार के सुरों का
समय की लय ताल का
          जिसने समझा यह रंगमंच
           उसका अभिनय उम्दा सचमुच
‌          फिर चाहे हो राजमंच
            या हो राममंच
Mohan Jaipuri Jan 2023
कला छूती हृदय को
विज्ञान मस्तिष्क के नाम
जब हो हृदय बैठना
कला साधे काम।।

सिद्ध गायकी करते आये
कर अग्नि प्रणाम
धर्म का ध्वज लिए
घूमे चौखण्ड धाम।।

जीवत समाधियां लेकर
रखा धर्म का मान
फिर भी छुपे रहे
जैसे पहेली गुमनाम।।

कोमल सिद्ध ने जब जीता
मरवण का खिताब
राजस्थानी संस्कृति
का दुनिया में बढ़ा रूवाब
ना धर्म ध्वज ,ना चौखण्ड फेरी
फिर भी दुनिया पहुंची आवाज।।
Mohan Jaipuri Dec 2021
यह है राजस्थान रंगीला
आकर यहां तू बन गई
चटख रंगों की खान
मैं बना रंगरेज हठीला
तुझ पर अब हूं मैं कुर्बान
और तुम हो गई मेरी शान।

जुबान की अब नहीं जरूरत
आंखों से ही हो रही बात
दो जिस्म एक जान हुए हम
अनुपम है यह वक्त की सौगात।।
# katrina vicky marriage
Mohan Jaipuri Mar 2023
एक एक करके सब चले गये
कुछ रोशन दूसरों का जहां कर गये
कुछ सिगरेट की तरह धुंआ बनकर जल गये
यादों का क्या है ,अच्छी हो या बुरी
भलाई इसी में है , रखें इनसे दूरी ।।
Mohan Jaipuri Dec 2018
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।
जब जी करे चुटकुले सुनने का
झट से उसे याद करना।
शहादत का जब जिक्र आए
तुरंत उससे इतिहास जान लेना।
खाने पीने की बात आए
या नया हो कुछ करना
तुरंत उस से सलाह लेना
और उसका साथ हाजिर पाना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।
दिमागी कसरत करनी हो
तुरंत उसे संदेश देना
सारे जहां की पहेलियां हाजिर पाना।
कभी गणित की, कभी मेंटल एबिलिटी की,
कभी विज्ञान की चुस्ती दिमाग में लाना।
मन करे समाचार और समीक्षा का
कभी भी उसको कॉल करना
कर देगा सराबोर अपने रंग में
बस उसे एक बार झेल तो लेना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।
मन हो शायरी सुनने का
एक बार उसको पिंच कर देना
फिर देखो पटियालवी शायरी
बस तुम्हें ही पड़े संभालना।
जब धैर्य हो उसका आजमाना
कुछ ऐसा पांसा फेंकना
ज्ञान की परतें बस उसे पड़े खोलना
तुम्हें मिसाल दर मिसाल पड़े समेटना
कभी ना धैर्य खोने वाले दोस्त से होगा सामना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।।
पंजाबी भाषा समझना हो
या फिर गुरमुखी हो जानना
लिखित संदेश भेज दो
विशुद्ध ट्रांसलेशन जान लो
फिर हिंदी हो या जुबां हो ब्रितानियां
उसकी पकड़ तीनों पर है काबिले बखानियां
हमारी सबसे गुजारिश है
ऐसे दोस्त सभी अपनी मित्र मंडली में रखना।
मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों,
एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।।
211 · Sep 2021
अकेलापन
Mohan Jaipuri Sep 2021
ना खुजाई जा सके तो
खुजली भी तकलीफदेह होती है
प्यास तो बहुत दूर की बात है
अकेलापन अपने आप में एक संताप है।।
210 · Aug 2022
गुलजार
Mohan Jaipuri Aug 2022
शायरी गुलजार है
जिसके नाम से
शायरों की साख है
जिसके काम से
शब्दों के नायाब
जादूगर के जीवन में
जन्मदिनों की बहार रहे
हर खुशी गुलजार रहे।।
# HBD Gulzar sahab
Mohan Jaipuri Jun 2021
बहुत तारे गगन में हैं
कुछ जाने कुछ अनजाने हैं
कुछ रास्ते में बिखर जाते हैं
मन को निराश कर जाते हैं
तारामंडल नभ को
आभा प्रदान करे ना करे
बन ध्रुवतारिका‌ हमारे उर में
सुधि तुम्हारी टिमटिमाती रहे।
210 · Aug 2022
शायरी
Mohan Jaipuri Aug 2022
तेरे‌ ये रेशम जैसे बाल
सौंदर्य की अद्भुत मिसाल
जब दो-चार लटें‌ बिखर‌ कर
माथे पर आ जाती‌ हैं कभी
लगती हो‌ शायरी‌ कमाल।।
209 · Nov 2024
मुलाकात
Mohan Jaipuri Nov 2024
कभी होता था चलते -चलते
बस यूं ही सरे राह मिल गये
अब तो मुश्किल से मिल पाते
आनंद बस इस बात में आता है
जैसे थे वैसे ही मिल गये।।
209 · Oct 2021
एक पयाम
Mohan Jaipuri Oct 2021
खुश रहना है तो
दोस्त एक खूबसूरत रखिए
खुशबू ना मिले कोई बात नहीं
आंखों से पयाम तो लेते रहिए।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
खिला हुआ तेरा चेहरा
ज्यों खिला हुआ हो पुष्प
दिल महकाता दिन में मेरा
रातों को बनाता मधुप
लब तेरे  पंखुड़ियां लगते
हो जाऊं इनमें कैद
मिलकर कभी तुझसे मैं
भूलूं दुनिया की जद्दोजहद।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
बिमारी के लिए छुट्टी तो ठीक है परन्तु
छुट्टी के लिए बिमारी ओढना ठीक नहीं
ये किस मोड़ पर आ गये‌ हैं‌ हम
जहां स्वस्थ होना ठीक नहीं।।

आये हो ‌दफ्तर में‌ काम करवाने तो
कुछ दे जाओ‌ तो ठीक है परन्तु
पास कुछ ना हो तो काम की आस रखना ठीक नहीं
ये किस मोड़ पर आ गये हैं हम
जहां आशा रखना ठीक नहीं।।

देते हो बच्चों को भोतिक सुविधाएं तो ठीक है
परन्तु नैतिकता की शिक्षा देना ठीक नहीं
ये किस मोड़ पर आ गये हैं‌ हम
जहां नैतिकता कोई शिक्षा ‌नहीं।।

किसी के लिए दिल में प्यार होना तो ठीक‌ है
परन्तु बदले में प्यार ना मिले तो प्रतिशोध ठीक‌ नहीं
ये किस मोड़ पर आ गये हम‌
जहां प्रतिशोध की क्रूरता का अन्त नहीं।।
208 · Sep 2022
सोनालिसा
Mohan Jaipuri Sep 2022
कुछ चेहरे ‌ऐसे होते हैं
दिमाग में तस्वीर ‌
अपनी उकेर देते‌ हैं
मोनालिसा की पेंटिंग जैसे
सोनालिसा बन दिमाग में
हमेशा के लिए छप जाते हैं।।
208 · Jan 2023
सच्चाई
Mohan Jaipuri Jan 2023
ख़्वाबों के पंख होते हैं
उन्हें कोई पकड़ नहीं पाता
तेरी आंखें समुद्र हैं
मैं बाहर नहीं आ पाता
दोष ना ख़्वाबों का ना तेरा
इस जमीन पर रह कर
मैं सच्चाई समझ नहीं पाता।।
208 · Nov 2023
प्रेम
Mohan Jaipuri Nov 2023
प्रेम में जब कोई पड़ जाये
भूगोल - इतिहास भूलकर
उसकी आत्मा में बसा जाये
वरना वह प्रेम कहां कहलाये।।
207 · Apr 2019
यादें
Mohan Jaipuri Apr 2019
इस चुभती दोपहरी ने
सड़क पर मृगतृष्णा बना दी है
किसी ने बचने को
एक छांव की शरण पाई है
पर वहां ठंडाई की बोतल देख
किसी की याद ने
भीतर भी लू चला दी है
कहते हैं यादें दिखती नहीं हैं
फिर भी रोज आंखों में रहती हैं
और मन पिंजर के पंछी की तरह
रोज यादों से बातें करता है।
Mohan Jaipuri May 2019
तंबाकू धीमी हत्यारी है
इसकी नहीं किसी से यारी है
चिलम पीने से सबसे पहले
चिलम की साफी भूरी होती है
फिर पीने वालों की हथेली भूरी होती है
अंत में फेफड़ों की चूरी होती है
शरीर में दुर्गंध आने लगती है
बुढ़ापे में सांस नहीं आती है
बुरी खांसी उठती है
खांसते-खांसते मरना पड़ता है
घर वाले भी कमरा अलग कर देते हैं
जो हमेशा बलगम से भरा रहता है

जो तंबाकू चबाते हैं
वे सारा दिन थूकते रहते हैं
सारा दिन हथेली गंदी रखते हैं
घर और सार्वजनिक दीवारों को गंदी करते हैं
दूसरों के तिरस्कार का शिकार बनते हैं
अंत में अपने ही जबड़े दांत और
मुंह की त्वचा गंवा बैठते हैं

जो लोग तंबाकू सूंघते हैं
वह हमेशा नाक में अंगुली रखते हैं
सारा दिन छींकते रहते हैं
अपनी नाक काली कर लेते हैं
बुढ़ापे में छींकते- छींकते मरते हैं

उपरोक्त तीनों प्रकार के तंबाकू नशेड़ी
दूसरे लोगों को निष्क्रिय नशेड़ी बनाते हैं
तंबाकू की फैक्ट्री में काम करने वालों का जीवन भी हर लेते हैं
तंबाकू छोड़ना ही बुद्धिमानी है
इसको ना छूने की कसम खानी है
खुद के साथ आने वाली पीढी भी बचानी है।
207 · Feb 2021
मेरी बात
Mohan Jaipuri Feb 2021
एक बार देखा था मैंने उसे
झेंपकर कहा था उसने
क्या देखते हो इधर ?
घबराहट में मैं भी भूल गया था
अपना कवित्व
झुका लिया था सिर
लानत है मेरा कविता लिखना
मैं नहीं शब्दों में पिरो सका
जिस रूप को
उसने आज हेयरकट को
नया अंदाज देकर
मेरी कविता पूरी कर दी
देखकर तस्वीर लोगों ने ही
मेरे मन की बात कह दी।।
207 · Apr 2022
इकबाल
Mohan Jaipuri Apr 2022
इकबाल ने कमाल दिखाया
वर्कशॉप को चार चांद लगाया
औजारों की दीर्घा देख
'इकबाल ' ही जुबां पर आया ।।
# Kaam ki baat
Mohan Jaipuri Jul 2021
कभी शायरों की महफिल में खो कर देखो
रंजो गम के दरिया में खुद को डुबोकर देखो
भावनाओं की नाव को बहते हुए देखो
दरिया के उस पार बैठी आशा‌रूपी दुल्हन
उस दुल्हन के घूंघट को कवियों के
शायरीरूपी कर से उठते हुए देखो
फिर स्वंय ही बताओ
कवि की कल्पना को लेखो।।
# open mic eve
Mohan Jaipuri Jan 2021
किसान की मजबूती
लट्ठ,हठ और आपदाओं
की‌ सहनशक्ति।।
204 · May 2024
धुंध
Mohan Jaipuri May 2024
जिंदगी रोज देती नये गंतव्य
कभी प्यारी लालिमा, कभी कुंद सी धुंध
चलो लिखना आये ना आये
हम भी चलायें शब्द बाण अंधाधुंध।।
Mohan Jaipuri Nov 2019
जीवन की आपाधापी में
चाहे कितना दूर चला जाऊं
पांच बरस की अवधि पर
ज़ी टी में 'रेक' जरूर आऊं

थाई ,चाइनीजऔर कॉन्टिनेंटल
चाहे कितनी भी बार खाऊं
स्वाद रेक के राजमा - चावल का
कभी ना मैं भुला पाऊं

दुनियां में घूम - घूम कर मैं
चाहे कितना ही इतराऊं
देख 'रेक 'की कॉरिडोर
सुकून मातृ आंचल सा पाऊं

उड़न खटोले चढ़कर मैं
चाहे दुनियां घूमूं और लहराऊं
किरमिच रोड के ट्रैक्टर से लटक
उस यात्रा का सुख कहां से पाऊं

गंगा,यमुना ,सरस्वती का
चाहे संगम देख कर आऊं
ब्रह्मसरोवर की संध्या की
रंगत कहां से पाऊं

400 ,220 या 132 केवी के
चाहे कितने भी ब्रेकर लगाऊं
विशू ,शेखू और नवनीत संग
इंडक्शन मोटर के प्रयोग कहां से लाऊं

यूं तो मेरा पुनर्जन्म में विश्वास नहीं
फिर भी यदि पुनर्जन्म पाऊं
रेकर ही हों मेरे सहपाठी
और रेक ही कॉलेज पाऊं।
204 · Dec 2024
दस्तक
Mohan Jaipuri Dec 2024
जो होते हुए भी नहीं आते
उनसे मिलने की कसक
जो नहीं रहे हैं वो आज भी
बसे हुए हैं दिलों में बेशक
यह टीस ही हमें बुला लाती है
देने पुराने दरवाजों पे दस्तक।।
204 · May 2021
चलमित्र
Mohan Jaipuri May 2021
सिनेमा तो चलचित्र है
मोबाइल मेरा चलमित्र है
यह बिन मास्क ही बात‌‌ करता
देखो कितना सशक्त चरित्र है।।
204 · Jun 2022
नाखून
Mohan Jaipuri Jun 2022
आज नाखूनों ने पोरों से कहा
हम नहीं हैं ना खून
यह तो हमारा हुनर है
हम कटते हैं मर्यादावस और
रखते तुम्हें सुंदर और महफूज।।
Mohan Jaipuri Nov 2021
मैं पुरुष हूं
हां मुझ में पौरुष है
जब किसी के पौरुष
से समाज कलंकित होता है
तब मुझे पुरुष होने पर
शर्मिंदगी होती है।
मैं आज के दिन को
बेहतर‌ स्त्री-पुरुष संबंध
के द्वारा सुंदर संसार के
निर्माण में लगाने का
दृढ़ निश्चय करने के
अवसर के रूप में
लेता हूं।।
Mohan Jaipuri Mar 2022
उम्र के साथ अदायें
उन्नत हो चली हैं
जहां से गुजरती तू
नज़रें उधर फिसली हैं।।
202 · Jul 2022
मेरी रंगत
Mohan Jaipuri Jul 2022
मैं फूल, तू तितली
मैं खिलता,तू मंडराती
मैं मुरझाता,तू नजर न आती
तुझ बिन मुझमें रंगत न आती
तभी तेरी मेरी संगत सबको भाती।।
Mohan Jaipuri Jul 2022
हौंसले हो बुलंद तो
लूऐं भी कुछ ना बिगारे
जिसके दिल सावन बसे
बैसाख-ज्येष्ठ उसे संवारे।।
Mohan Jaipuri Jun 2024
गेम यह ग्लेमर का
बन गया है ऐसा
राजनीति के बाद
दूसरा अच्छा पेशा
नाम के साथ -‌साथ
मिलता अच्छा पैसा।।
Mohan Jaipuri Jul 2022
याद दो तरह के लोग किये जाते हैं
एक जो‌‌ दूसरों के लिए कुछ करते हैं
दूसरे  वे जो दूसरों से कुछ करवाने
में सक्षम होते‌ हैं ।
बाकी तो प्रकृति के साथ चलते रहते हैं
और वर्षों की  गिनती ‌करते हैं।।
201 · Feb 2021
नखरे
Mohan Jaipuri Feb 2021
बिन‌ नखरे‌ रूप ना निखरे
जब हुए नखरे आशिक उभरे
जब नखरे उठाने की आती बारी
तब काफूर होती सारी खुमारी।।
Mohan Jaipuri Jul 2019
माना कि बेटी के जन्म पर, अब भी ना बजती हो थालियां।
बेटी स्वयं अपने साहस से, बजवा लेती है तालियां।।
200 · Sep 2024
पेट की आग
Mohan Jaipuri Sep 2024
पेट की आग गरीब से
ज्यादा कोई नहीं जानता
इसलिए ही वह दो रोटी
मिल जाये तो उसमें से
आधी रोटी कुत्ते को
अवश्य है डालता
पेट और रोटी का फासला
समझाता आत्मा का मसला।।
Mohan Jaipuri Jul 2022
बसन्त में आगाज हुआ
श्रावण परिपूर्ण भई
लगन सिनसिनवार की
सुनहरा  रंग लाई।।
# Festivals of spring publication
Mohan Jaipuri Jul 2022
सावन में लगी झड़ी
उठाया बाल्टी-फावड़ा
साथियों को साथ लेकर
हरियाली में हिस्सा जोड़ा।।
Mohan Jaipuri Dec 2021
चूरू तो ठंडा भया
चाले ठण्डी बाय
खाओ बाजर की रोटियां
लहसुन चटनी लगाय।

जल्दी सिमटो बिस्तरां
दिन में ही सब निपटाय
जाना‌ अगर खुले में
हाथ-पैर बार-२ तपाय।

उगत में कोई दम नहीं
छिपते डगमगाय
चले है ' डांफर' निर्दयी
कलेजे चुभ- चुभ जाय
राखो दिन दस संभाल के
ये हाड़ फिर सरसाय।।
Danfer is local name of coldwave
199 · Jun 2021
मेरा आकलन
Mohan Jaipuri Jun 2021
भय बिना प्रीत नहीं
जुनून बिना जीत नहीं
आस्था बिना आदर नहीं
चरित्र बिना मजबूती नहीं
धैर्य बिना शांति नहीं
नींद बिना स्वास्थ्य नहीं
कितना ही सीख लो
अनुभव के जैसी
कोई युक्ति नहीं
और शब्दों से ज्यादा
किसी की शक्ति नहीं।।
Mohan Jaipuri Mar 2023
मेरे सीने में एक बात अटकी थी
मेरे लिए वो कितनो से ही लड़ी थी
आज जब मेरे और औलाद के बीच
दो राहे पर खड़ी थी
बड़ी लड़खड़ा सी गई थी
मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं था
वो सुनकर भी क्या करती
बर्फ़ की सिल्ली सी हम दोनों
के सीने पर पड़ी थी
कहना था तेरा कोई दोष नहीं
वक्त का तकाजा है
पर शब्द जवाब दे गये
बस ये बात सीने में अटकी थी।।
Mohan Jaipuri Mar 2022
हर सवाल का ज़वाब होता है
पर हर चुप्पी में एक सवाल  है
चुप्पी का चुप्पी से ही उत्तर दे
आदमी बस वही कमाल है।।
Mohan Jaipuri Aug 2022
स्वतंत्रता के पिचहतर वर्ष
हमने मनाये अनेकों हर्ष
शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा
और बुनियादी ढांचा हुआ उत्कर्ष
लड़कियों को अवसर मिला तो
सम्मान देश का फहुंचाया अर्श
करें प्रतिज्ञा इस पिचहतर
बची रूढ़ियां और आडम्बर
शतक होने पर ला देंगे फर्श।।
198 · Jun 2024
योग
Mohan Jaipuri Jun 2024
आज मैं खुद के इश्क में डूबा हूं
मदहोशी ऐसी छाई है कि
बार-बार पसीने से सना हूं
संभाला होश तो किसी ने
कहा " मैं योग में फना हूं"।।

# Happy International Yoga day
Mohan Jaipuri Sep 2024
मोहिनी सूरत
मित भाषी
ज्यादा लिखूं
लगे आभासी
खोलूं आंखें
नजर न आये
बंद आंखों में
वही समाये।
लाज के मारे
दफन सीने में
नजाकत नहीं
इस जीने में
नींद हमारी
सपने तुम्हारे
राज बस शब्दों
में जाये उकेरे।
भटक-भटक
अटक-अटक
जीवन जाये
लटक-लटक
बिन तेरे
लोग कहते
मैं जी रहा
सटक-सटक।।
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