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197 · Dec 2021
हसीन सुबह
Mohan Jaipuri Dec 2021
ऐ हसीन सुबह
कर दे एक एहसान मुझ पर
जगा दे मेरे यार को
कर लें कोई बात ऐसी कि
दिन ही लगे दिलबर।
Mohan Jaipuri Sep 2024
मोहिनी सूरत
मित भाषी
ज्यादा लिखूं
लगे आभासी
खोलूं आंखें
नजर न आये
बंद आंखों में
वही समाये।
लाज के मारे
दफन सीने में
नजाकत नहीं
इस जीने में
नींद हमारी
सपने तुम्हारे
राज बस शब्दों
में जाये उकेरे।
भटक-भटक
अटक-अटक
जीवन जाये
लटक-लटक
बिन तेरे
लोग कहते
मैं जी रहा
सटक-सटक।।
Mohan Jaipuri Jan 2024
जनवरी में जाड़ा‌‌ पड़े
पानी पत्थर हो जाये
कंबल ओढ़ काम करें
दिन इकतीस गुजर जायें
बाजरे की रोटी गुड़ - घी में
चूरकर बैठ रसोई खायें
चमड़ी पर चमक आ जाये
सालभर की मजबूती पायें।।
Mohan Jaipuri Feb 2023
छरहरा बदन
गोरा गोरा रंग
सवेरे सवेरे
दिख जाता है
यह जादुई कंचन।

यह जींस और टॉप
फबते तुझ पर बहुत
उस पर तेरे ये जादुई
गुलाबी गुलाबी होंठ।

बालों को लहरा के
एक साइड में गिराना
काले तेरे गोगल्स
बनाते मुझे दीवाना।

कभी गजब ढा देता
तेरा  'पोज' यों बनाना
तुम तो अपने आप में
सुंदरता का खजाना।

ऐ हसीना बहुत
मुश्किल है दिल थामना
हम तो हैं पेट्रोल
तुम हो एक चिंगारी
कब तक जारी रखोगी
यूं ही हमें जलाना।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
मैं खुश हूं
मैं लेखक हूं
लिखता हूं
पढ़ता हूं
पोस्ट करता हूं
कोई पसंद करें
ना करें
खुद ही पसंद
कर लेता हूं
स्वयं पर विश्वास
करता हूं और
ईश्वर में आस्था
रखता हूं
हो विश्वास पक्का
और निष्ठा सच्ची
तो बिना आंखों के भी
सब देखा जा सकता है
व बहरे भी सुन लेते हैं
वरना यह संसार
आंखों के अंधों
और कानों वाले
बहरों से भरा पड़ा है
हरेक के अंदर
एक अफगानिस्तान
सुलगने को तैयार खड़ा है।।
Mohan Jaipuri Mar 2022
पचास पार का निखार
जैसे पतझड़  में बहार
कहीं पर गिरती बिजली
कहीं और आता तूफान
फसल फायदा हो ना हो
पकोड़े होते जरूर तैयार
लाते जीभ पर लार
करते सर्दी में ऊर्जा संचार।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
तुम्हारे रूखेपन का सबक यह है
कि हमने भी छोड़ दिए वो रास्ते
जहां से तुम्हारी आहट नहीं आती है
बोल पपीहे के तभी सुहाने लगते हैं
जब चमन में बहार आती ‌है।
Mohan Jaipuri Jan 23
एक रुद्राक्ष बेचने वाली लग रही
जैसे खुद हो एकमुखी रुद्राक्ष
मिडिया को भी यह भ्रम है
जैसे वही है महाकुंभ का अक्ष।।
Mohan Jaipuri Jul 2019
जीवन सड़क जैसा है
जिसे इससे गुजारना है
उसे गुजारना ही है
चाहे हो भारी
चाहे हो प्रभारी
चाहे हो तेज
चाहे हो निस्तेज
जिसे इस से गुजरना है
उसे गुजरना ही है।

ना करो कोशिश
किसी को रोकने की
हां एक साइन बोर्ड से
सलाह देनी सही चलने की
ना तेज दौड़ाने की
ना अटकाओ रोड़े
नहीं तो निकल आएंगे
खुद के ही फोड़े
बस सब को सहना है
जिसे इससे गुजरना है
उसे गुजरना ही है।

जीतना होगा लंबा
उतने ही होंगे इम्तिहान
ज्यादा होंगे नए मुकाम
भारी देख रोकना नहीं
हल्का देख मुस्कुराना नहीं
जीतनी होगी निर्लिप्तता
उतनी होगी स्वाभाविकता
चमक से कुछ होना नहीं
धीरज कभी खोना नहीं
खाली कभी रहना नहीं
जो आए वही गहना है
जिसे इससे गुजरना है
उसे गुजरना ही है ।।
194 · Jul 2019
पानी पुरी
Mohan Jaipuri Jul 2019
प्यारी-प्यारी पानी पुरी
देख मुंह में पानी आए
मेरा स्वभाव ठेले ले जाए
सारे तौर तरीके दूर रह जाए
जब मैं पा लूं पानी पुरी
आलू प्याज मसाले भरी
जलजीरा की जलपरी
बच्चे जवान और अधेड़ में
खाने की‌‌ है लत बड़ी
सड़क किनारे ठेला देखूं
लग जाये पानी पुरी की हथकड़ी
इसका चर चरा नमकीन स्वाद
बना दे मुझको अलहड़ी
खा कर मैं बच्चा महसूस करूं
ऐसी प्यारी पानी पुरी।
Mohan Jaipuri Sep 2019
अभियंता का चिंतन
ड्राइंग पर आता
ड्राइंग से डिजाइन बनाता
डिजाइन जब फील्ड पर आती
इसमें मानवता की कड़ी जुड़ती
यहीं से अभियंता की
प्राथमिकताएं शुरू होती।

अभियंता एक सच्चा धर्मनिरपेक्ष
उसका उद्देश्य मानवता सापेक्ष
चाहे हो अमेरिका , चाहे ईरान
मापन उसका सब जगह समान
यही है उसका धर्म - ईमान।

अभियंता का जुनून
धरती, आकाश और सागर
देखते ही देखते उसने
सब जगह बना ली डगर
वास्तविकताएं उससे
छुप नहीं सकती पल भर
यहीं से वह बन जाता
एक मशीन भर
चेतना में शामिल
हो जाती है दक्षता हर

खाना ,पीना ,रहना
इनसे ना कोई परहेज
पहाड़- मैदान, समुद्र
बन जाता है उसका घर
शाकाहारी , मांसाहारी जो
मिल जाए उस पर निर्भर
अभियंता है पूरा वैश्विक
जहां मिले रुचिकर काम
वहीं बन जाता नागरिक
आज अभियंता दिवस है
194 · Dec 2023
नया दर्शन
Mohan Jaipuri Dec 2023
प्यार किया था
रांझा - हीर ने
सही होगी
विरह पीर ने
प्यार जीया
अमृता-इमरोज ने
एक बना कवर
एक बनी कलेवर
रच गये एक
नये 'दर्शन' ने।
194 · Aug 2019
प्यार
Mohan Jaipuri Aug 2019
आज फिर उसने अपने
हृदय को कफन बताया
प्यार उसमे सारा
मेरे लिए दफन बताया
प्यार कभी ना दफन होता
उदास भाव से करो याद
तो यह चिंगारी बनता
मंद मुस्कान से करो याद
तो यह फुलवारी बनता
चारों तरफ हैं ऐसे मंजर
बस थोड़ी लंबी तू नजर पसार
दिनों का क्या है
बीती हैं यहां पीढ़ियां हजार
मुश्किल फिर भी यदि सफर लगे
सच्चे दिल से उसे लो पुकार।।
Mohan Jaipuri Jan 2022
लाल जर्सी
स्लेटी जींस
लाल एक्टिवा चढ़ती है
काली घटा सी जुल्फें जिसकी
कान चंद्र झूमर लटके हैं
शुक जैसी तीखी नाक
बोली जिसकी है‌ बेबाक
होंठ अंगारे हैं करारे
नाजुक-नाजुक शब्द‌ उच्चारे
तेरे नाजो- नखरों पर
जाने कितने दिल हैं‌ हारे
ऊंचाई तेरी एफिल टावर
देख लगे सुहाना‌ शावर
गोगल्स की शान निराली
देख लगे मधु की प्याली
पर देख तेरे एंकल बूट
नजदीकि बढाने का
साहस जाये टूट- टूट।।
192 · Aug 2022
Tulika Maan
Mohan Jaipuri Aug 2022
Trained by a tough time
Honoured by silver shine
Mohan Jaipuri Jul 2024
मनु मैजिक जारी है
अब स्वर्ण की बारी है
दो कांस्य झटक कर
अभी तो समझो
पूरी हुई तैयारी है।

# 10 m air pistol mixed bronze
by Manu bhakar & Sarabjot Singh
at Olympic today.
191 · Feb 2024
जज़्बात
Mohan Jaipuri Feb 2024
किसने जाना उम्र हो रही तमाम
बांट लो जज़्बात जब हमदर्द मिले।।
Mohan Jaipuri Sep 2021
देशी बाजरे की रोटी
ग्वार फली का साग
मरू भूमि के चोमासे
का अद्भुत उपहार
दही भैंस के दूध का
जिसकी काचरी सी‌ आभा
मिल बैठ खायें- पीयें
तो अच्छी हो शोभा।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
दबाये जो ख्वाब
दर्द बन गये है
व्यक्त जो कर दिये
कविता ‌बन गये
दर्द जो बन गये
सबक दे रहे हैं
कविता जो बन गये
संबल दे रहे हैं।।
190 · May 2021
नव पल्लव
Mohan Jaipuri May 2021
हिमालय में अमराई पर आम आए
वहीं पर लीची के पेड़ खड़े हैं
लीची के बोझ से सिर झुकाए
नीचे पानीपत के मैदान में
कोई लंबी-लंबी लौकी दिखाए
अरे मोहन सरदारशहरी तुम भी
अब हो जाओ उमंगों में शामिल
तेरे अहाते में भी जब बिन पानी
ही मेहंदी पर नव पल्लव आए।।
Mohan Jaipuri Jul 2021
लिखना तो एक सफर है
जिसमें पब्लीशर हमराही हैं
मिलकर चलते- चलते
जिस मोड़ पर शब्द
लिपटते सुनहरी स्याही हैं
तब जाकर दास्तान कोई
बनती सुन्दर व स्थाई है।
189 · Feb 2021
प्रपोज डे
Mohan Jaipuri Feb 2021
प्रपोज करना तो अच्छा है
किंतु संकल्प‌‌ दो साथ में लें
प्यास लगे तो चातक बनें
सिर्फ स्वाति बूंद का सेवन करें
विपत्ति यदि‌ कभी दस्तक दे
दीपक- पतंगे की तरह
मर मिट कर भी साथ निभायें।।
Mohan Jaipuri Jul 2021
जी करता है आंसूओं का सैलाब छुपाने को
मगर बारिशों को कद्र कहां मेरे जज़्बातों की
गर नहला‌ देती मुझको ये अपनी मुसलाधार में
मेरे‌‌ अश्कों को‌ भी‌ मिल जाती मंजिल मुरादों की।।
189 · Jul 2024
दुनियां
Mohan Jaipuri Jul 2024
गजब का आईना है
यह दुनियां
चेहरे से ज्यादा
चरित्र दिखाती है
बिन बोले ही
राहें बता देती है।।
Mohan Jaipuri Aug 2021
आजादी से बढ़कर कोई उत्सव नहीं
मातृभूमि से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं
आजाद हूं मैं आजादी उत्सव मनाता हूं
मातृभूमि के यश‌‌ में वृद्धि के गीत गाता हूं
मेरे इस सौभाग्य पर मैं नित्य मोद मनाता हूं।।
Happy independence day to all Indians
Mohan Jaipuri Apr 2019
बचपन प्रकृति के नजदीक बिताया
छल ,कपट ,छद्म वेश भूषा मन में न आया
ग्राम्य जीवन की सीमाएं समझी
सिर्फ घर - खेत और गांव
इसके आगे कुछ ना जाने
विचार आया यह क्या जीवन है
जो अपना वजूद ना जाने
छोड़ा गांव हुआ उजियारा
पर शहर का जीवन भी बड़ा दुखियारा
ना आदमी की जबान की कीमत
ना कोई दया, ना कोई रहमत
ना वफा , ना भाईचारा
सिर्फ पढ़ा- लिखी एक सहारा
पढ़ना लिखना यूं कुछ सीखा
जा पहुंचे हरियल प्रदेश
पढी तकनीकी, आई सन्मति
सच में पाई मनुष्य की गति
भगवत कृपा से मित्र सुनहरी जीवन में आई
जीवन और सदाचार की उसने समझ दिलाई
लगता है हम कर्मशील ,पर भाग्यविहीन हैं
इसलिए मझधार में ही साथी विहिन हुए हैं
और वापस प्रकृति के अधीन हैं
संघर्ष कल भी था , संघर्ष आज भी है
बस अब संघर्ष का स्वरूप बदलना है
अब हजारों कविताएं और
सैंकड़ों कहानियां रचनी हैं
साथी कोई मिले ना मिले
शब्दों से ही संगिनी गढनी है।
Mohan Jaipuri Sep 2021
सच्चा शिक्षक सरल होता है
पर शिक्षायें उसकी गूढ़ होती हैं
समझ में आये‌‌ तो मानव बन‌ जाये
वरना जीवन व्यर्थ और मूढ़ होता है।
188 · Jun 2022
जिंदगी
Mohan Jaipuri Jun 2022
किसी की यादें जीने नहीं देती
किसी से मिलने की ख्वाहिशें
सुकून से मरने नहीं देती
यही है जिंदगी जहां तुझे तेरी
हस्ती याद ही नहीं रहती ।।
Mohan Jaipuri Oct 2021
दोस्त वह जो दिल को जाने
रिश्ता वह जिसकी अनुपस्थिति
को दिल कभी ना माने।।
Mohan Jaipuri May 2022
आखा तीज से अक्षय  बने
शिक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि
आखा तीज का कलंक मिटे
बाल विवाह से नाता छूटे।।
186 · Aug 2021
भ्रमर मन
Mohan Jaipuri Aug 2021
सुनहरी साड़ी
सुनहरे कंगन
बिंदी चमके
ज्यों कुंदन
देख- देख ऐसे लगे
जैसे बसे तू वृन्दावन।

लाल बोर्डर
लाल ब्लाऊज
लाल लब निराले
गलती से कोई
नजर मिला ले तो
डूबे आंखों के प्याले।

देख -देख काली अलकायें‌
उलझे मतवाला भ्रमर मन
गोरा तन‌‌ और लम्बी अंगुलियां
जिनमें अंगुठियां जड़ी रत्न
एक बार जो तुझको देखे
बार- बार ललचाये मन।।
Mohan Jaipuri Jun 2019
जब तुम थे तो
दुनियां देखकर लगता था
जैसे यह तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा
दुनियां की हलचल
जैसे तुम्हारे हाथों की लय पर
पूर्ण होते कार्य हर पल
दुनियां के आभूषण
जैसे तुम्हारे प्यार का सम्मोहन
दुनियां की अच्छाई
जैसे तुम्हारे तन की परछाईं
दुनियां की हरियाली
जैसे तूने प्यार की इबारत लिख डाली
दुनियां द्वारा अवहेलना
जैसे तुम्हारा आंखें तरेरना
और वापस गृहस्थी में डूबना।
यों था ना‌ कभी भान
ऐसा भी आता है तूफान
दुनियां की रंगत
अब लगती है फीकी
घावों को सहन करना
अब है किस्मत में लिखी
पर मुझे ऐसा लगता है
जैसे उनमें भरी है मिर्च तीखी।
बस तुम्हारे आदर्श और संस्कार
झुंझलाती जिंदगी को देते हैं रफ्तार
विनती हमारी प्रभु से दोनों कर जोड़
बता देना उनको हम हैं प्रसन्न चित्त
वह कहीं भी हों, ना‌ हो कभी विचलित।।
186 · Apr 2024
कोटा शहर
Mohan Jaipuri Apr 2024
जहां तक दृष्टि जाती
वहां तक दिखता कोटा
उसके आगे बादल से लटका
दिखता फिर भी कोटा।
सुनहरी आकाश की उपमा
शायद धारण कर ली कोटा
पढ़ने आते बच्चे यहां
पाल सुनहरी सपना मोटा।
डोरिया की साड़ी प्रसिद्ध
गहनों का रुतबा ऊंचा
सात अजूबों की नकल
बात कहती कूंचा-कूंचा।
रिवर फ्रंट ने चमक बढ़ाई
चंबल हो गई स्थल सुहानी
बीचोंबीच शहर से गुजरती
लगती सौन्दर्य की रानी।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
चलो मत भेजो अपनी तस्वीर
दो बोल तो बोलते रहो
कटता रहे जिंदगी का दुरुह सफर
ओ‌ मेरे बुझे‌ दिल की तकदीर।।
Mohan Jaipuri Jun 2024
कल मेरी नौकरी मुझ पर मुस्काई है
MACP के जरिए एस. ई. वाली
ग्रेड पे (L-19) ले आई है।
ओवरसियर के लिए भर्ती हुआ
अधिशाषी अभियंता बन गया
एस.ई.वाला वित्त लाभ भी
अप्रैल -23 से मिल गया
मां-बाप , सास-ससुर रहे नहीं
अब बताने को तरस गया ।
अजीब विडंबना है जब सुनने वाले हों
तो बताने को कुछ नहीं
बताने को हो तो समझने वाले नहीं।
शायद इसलिए ही कहा जाता‌ है
जिंदगी खट्टी- मिठी है
आज खबर यह मिठी‌ होकर भी
मेरे लिए दांतो के चिपकने जितनी खट्टी है ।।
185 · Jan 2024
हुनर
Mohan Jaipuri Jan 2024
बूढ़ा होकर  भी एक हुनर तो चाहिए
प्रेम की बात अब भजन में ही कहिए।।
Mohan Jaipuri Jun 2021
कैमरे ने कहा
मैं रील से
डिजिटल हो गया
मैंने कहा
इतना ही नहीं
तू कैमरे से बढकर
मेरा मालिक हो गया
मैं भूल अपना अस्तित्व
तुझ पर ही
पूरा आधारित हो गया
कुछ वीडियो में
तो कुछ सीसीटीवी में
कैद हो गया
कुछ करने से ज्यादा
मैं तेरी मदद से
दिखावा करने की
जुगत में बर्बाद हो गया
स्माइल प्लीज वाक्य ने
स्टूडियो से निकलकर
बच्चों की पढ़ाई
कार्यालय की लिखाई
संसद की कार्रवाई
अदालत की सुनवाई
सब पर है अब
अपनी मुहर लगाई।
#National Camera Day
Mohan Jaipuri Mar 2022
भारत की आत्मा गांवों में बसती है
यहां झूठ महंगी और सच्चाई सस्ती है।

खाने में अवयव कम है
पर जितने भी हैं उन में दम है
दिखावा कम है
बातों में वजन है
तभी युवा पीढ़ी आज भी बुजुर्गों के आगे झुकती है।

घरों में बातें कम होती है
काम ज्यादा होता है
आने - जाने वाले का आदर होता है
भूखे को खाना प्यासे को पानी मिलता है
चौपालों पर आज भी रौनक रहती है।

बात की पकड़ अभी बची हुई है
युवाओं का भरोसा बुजुर्गों के
अनुभव पर कायम है
युवाओं में फिक्र कम
कुछ कर गुजरने का दम है
तभी तो सामूहिक परिवार गांव की बपौती है।

त्योहार मात्र औपचारिकता नहीं
बहन - बेटी के घर आने का अवसर है
मिल बैठकर खाने और
हंसी खेल की चौसर है।
रिश्तों पर विश्वास की एक कसौटी है।।

होली हो तो रंग - गुलाल से ज्यादा
नाच - गान पर विश्वास है
नए-नए स्वांग देखकर
हृदय में भरता उल्लास है
पीते  हैं मद तो भी आंखों में  कान्हा की रास बसती‌ है।
Mohan Jaipuri Aug 2019
पहले कभी लंबी बातें
कभी सेल्फी आती थी
अब सिर्फ gm आता है
सच है औरत खुश हो
तभी बोलती है
वरना कहां
मन की गांठ खोलती है
जमाना यूं ही
व्यंग्य करता है
औरत ज्यादा बोलती है
सुनो अपने मन की आवाज
करो फैसला
क्या जितना बोलती है
उससे ज्यादा तोलती नहीं है?
gm - good morning
Mohan Jaipuri Nov 2021
जमाना ए.सी. का है पर
कुछ खूबियां कूलर में भी हैं
खस इत्र की कूलर के पानी में
दो-चार बूंदें डालकर सूखे रेगिस्तान
में भी‌ बागों‌ का‌ आभास कर लेते हैं
तभी तो सर्दी आते ही कूलर
बड़े चाव‌ से साफ कर लेते हैं।।
Mohan Jaipuri Dec 2021
तेरी खुली जुल्फों से ढका वो चेहरा
लगता है जैसे चांद बादलों से घिरा हो
तेरे उस चेहरे में ऐसा उलझा मन मेरा
जैसे पंखुड़ी में बंद कोई भौंरा हो।।
184 · Jun 2022
पिता
Mohan Jaipuri Jun 2022
पिता नाम है
उस मर्यादा का
जिसको लांघना
कहर खुदा का।।
#  Father's day
Mohan Jaipuri Jul 2019
हर अदा बिकती है
हर सदा दबती है
मिलता नहीं मुकद्दस
इतना है अफसोस
आखिर आ गये आजिज
कितना सहेगा नाचीज
ए बहार चमन को खबर कर देना
हर शख्स है यहां मिट्टी का खिलौना।
183 · Jul 2019
संसूचक
Mohan Jaipuri Jul 2019
कुछ लोग
बिन बुलाए आते हैं
घर का माहौल
सूंघ कर जाते हैं
अपनी टिप्पणी के साथ
राय भी दे जाते हैं
बात भले चंद्रयान की करें
घर का माहौल अशांत कर जाते हैं
उनकी दस मिनट की सामग्री
पर पूरा दिन लुट जाता है
मेरे बेजान से ख्यालों में
नया आक्रोश भर जाते हैं।।
182 · Jul 2019
ख्वाब
Mohan Jaipuri Jul 2019
ख्वाब तेरे हैं ऐसे
जैसे मेरे हैं वैसे
लिखा क्या है किस्मत में
दुनिया को क्या पड़ी है इससे
182 · Apr 2021
देह
Mohan Jaipuri Apr 2021
यह हमारी मिट्टी की देह
व्यर्थ है इससे स्नेह है।

कभी सुख का प्रकाश इसमें
कभी दुख का तिमिर छाया
प्राणों की वीणा से सजता
यह घर किसी का बसाया।

करुणा हमें शीतल करती
मोह विवेक हर लेता
प्यार जीवन में है वह सोता
जब यौवन अंगड़ाई भरता।

पीड़ाओं की आंधी से
जीवन में उठते राग बिछोह
यह हमारी मिट्टी की देह
व्यर्थ है इससे स्नेह।

स्वार्थ की वल्लरियां
अनायास आंखों पर चढ़कर
सोचने नहीं देती
कभी अपनो से आगे बढ़कर

बालपन उषा समान
जिसकी किरणें ऊर्जावान
श्रमित जरा संध्या समान
लेकर आती तिमिर का भान

कोमल पुष्प सी कठोर कुलिश सी
सत्य का है कहां अवगाह
यह हमारी मिट्टी की देह
व्यर्थ है इससे स्नेह ।
180 · Feb 2022
विचार
Mohan Jaipuri Feb 2022
कुछ विचार ऐसे होते हैं
जो ना आए तो अच्छा हैं
फिर भी अगर आ जाए
जल्दी चले जाएं तो अच्छा है।
विचार आया और कह दिया
नाली का ढक्कन खोल दिया
अब समेटे ना सिमटे
हवाओं ने उनको लपक लिया।
मन का खजाना लुट गया
शरीर की भाषा बदल गए
रास्ते अगर ना भी बदलो
बातों का मोल तो ले गए।।
Mohan Jaipuri Dec 2021
ना अपेक्षित पद बढा, ना कद बढा
सुकून बस इतना है, ना कोई मर्ज बढा
दो हमदम छिन गये, दो नये मिल गये
ऐ वक्त ना तेरा अब तक कोई कर्ज चढा
तलाश रोटी की तब भी थी, आज भी है
ये सिलसिला अब तक नहीं सिरे चढ़ा
गमो का सिलसिला ना हो यदि शामिल
किसने है यहां जिंदगी को ठीक से पढ़ा
ला रख नया कोई सवाल आज
पुराने सवालों का अब वो रूतबा‌‌ कहां।।
179 · Mar 2023
Salutu salutu
Mohan Jaipuri Mar 2023
Naatu Naatu‌
Oscar ** gya
Tum par
Lattu Lattu
Mera tujhko
Salutu salutu
👏👏👏👏
179 · Apr 10
Headgear to Footwear
Mohan Jaipuri Apr 10
She used to adorn me
liike beautiful poems
from Headgear to Footwear
a journey which led us
from scycle to motor
She left the world much younger
but her memories are with me
as warm as a beautiful sweater
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