जनवरी में जाड़ा पड़े पानी पत्थर हो जाये कंबल ओढ़ काम करें दिन इकतीस गुजर जायें बाजरे की रोटी गुड़ - घी में चूरकर बैठ रसोई खायें चमड़ी पर चमक आ जाये सालभर की मजबूती पायें।।
तीन महिने से दर्शन दिये हमने पूछा क्या हुआ था ? वह बोली गुस्से में थी हमने फिर पूछा आज क्या हुआ ? वह बोली आज मैं तेरे किस्से में थी धन्य हूं गुस्सा हो या किस्सा वह मेरे हिस्से में थी।।
Christmas gifts & Christmas carols Makes it special Festival among all Brings a lot of Holidays with it Makes it a point of funfare and lit It is the time When colours of old year Mixes with brightness of new That is why I eagerly wait for the Christmas view
Round earings Very endearing Green locket in gold chain My eyes target at once them Round face steals my heartbeats Words pouring out as tweets I wonder I were there to see your smiling eyes as my biggest prize
When lust turns into love Life is beautiful When love turns back to lust Life becomes pitiful When lust & love are balanced Life becomes insightful when only and only lust remains Life becomes revangeful
I welcome English May it flourish This is my wish I am happy with My Indian English I'm a good learner but When it comes to pronunciation I am a very poor level earner.
#Rich tributes to William Shakespeare on world English language day
मेरे सीने में एक बात अटकी थी मेरे लिए वो कितनो से ही लड़ी थी आज जब मेरे और औलाद के बीच दो राहे पर खड़ी थी बड़ी लड़खड़ा सी गई थी मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं था वो सुनकर भी क्या करती बर्फ़ की सिल्ली सी हम दोनों के सीने पर पड़ी थी कहना था तेरा कोई दोष नहीं वक्त का तकाजा है पर शब्द जवाब दे गये बस ये बात सीने में अटकी थी।।
सुनसान सड़क पर अचानक से सांपों का जोड़ा लिपटा देख सांसें अटक गई धक से श्री कृष्ण को याद किया संबल मिला गया झट से बगल से निकल लिया संस्कारों के बल बूते से बचपन में मां डराती थी जानवरों के नाम से तो साहस भी दिलाती थी श्री कृष्ण के नाम से।।
एक एक करके सब चले गये कुछ रोशन दूसरों का जहां कर गये कुछ सिगरेट की तरह धुंआ बनकर जल गये यादों का क्या है ,अच्छी हो या बुरी भलाई इसी में है , रखें इनसे दूरी ।।
नारी ही शक्ति है नर की पूरी दुनिया कायल है उसके अद्भुत हुनर की जमाना है अब डिजिट का अछूती ना रहे कुंजी कम्प्यूटर की नारी शक्ति के हाथ से अगर पिछड़ना नहीं है नवाचार की रफ्तार से ।।
दिलकश वो और दिलकश शाम हर मुश्किल में जुबां पर उसका नाम उसके साथ खड़ा रहने में है मेरी शान दिन की तो मैं कह नहीं सकता हर शाम यह मेरा इजहारे आम मेरी बीवी ही है मेरी जुबान।। 😄😄😄😄😄
वह लड़का था मगर उसे घर छोड़ना पड़ा बेदर्द इस दुनिया में हजारों से वह लड़ा नसीब लिखने की कोशिश में कई बार खाना-पीना भी छोड़ा नैया जब किनारे पहुंची भाग्य ने अटकाया फिर रोड़ा बिछुड़ा दिया एक पंछी जो हमेशा दुरर्दिनों में साथ था खड़ा भौतिक संसाधनों का मोह पल भर में ही छूट पड़ा दुनिया के दु:खों से लड़ने में तू बनता है सहारा तेरे दिये दुखड़ों के आगे बस बचता सिर्फ नाम तेरा।।
हरे चने-आलू की सब्जी संग बाजरे का रोट लालच करके खा गया मैं भर कर एक प्लेट घर वाले सोते रहे मैं सका ना घंटे भर भी लेट हाथ से बार - बार दबाता रहा बस पेट उठकर अजवाइन ली थोड़ा हल्का हुआ पेट बैठने के लायक हुआ तो लौट आया कवियों के सेट।।
जैसे वादियों से लिपटता है निर्मल और धवल कोहरा आगोश में रहकर भी ना शक का कोई पहरा मेरा मन उसे ढूंढ रहा है जो बांधे प्यार का सेहरा मुझे अपने स्वरूप में रहने दे उसे अपना स्वरूप हो प्यारा।।
रात भर इक चांद ने ख्वाबों के झूले झुलाया सुबह हुई तो चांद गायब खुद को जमीन पर पाया मेरा सच्चा प्यार वही जिसने दे थपकी मुझे जगाया फिर बिस्तर पर चाय लाया।।
शिव सादगी शिव सहनशीलता जटाएं इशारा हैं जीवन की उलझनों का नन्दी प्रतीक है जीवन उपयोगिता का मृगछाला प्रतीक दमन तृष्णाओं का गले का नाग कहे जहर गले तक ही रहे सिर की गंगा कहे ठंडा मस्तिष्क रहे निर्वस्त्र शरीर कहे बिन दिखावे का अपना जीवन हो हर एक मनुष्य का शिव संकल्प हो फिर जीवन में ना कभी कठिनाई का बोध हो।।
जिंदगी एक सफर है सूर्य सा दूजा मुसाफिर नहीं जब ढक जाये बरसात से निकले तो इन्द्र धनुष बनाये उगे तब भी केशरिया छिपे तब भी केशरिया जो रोज सुबह सूर्य को ध्याये बुढापे में भी वो रोज मुस्काये।।
चलो अब आ गया है फाल्गुन सर्दी हो रही है धीरे-धीरे गुम ऊनी पहनें तो गर्मी लगे ना पहने जुकाम लगे जाती सर्दी बड़ी बेरहम ढा रही है सब पर सितम बहती नाक, छिलता गला भूला रही अगला-पिछला रख मुंह रूमाल कोई खांसे समझो चिकित्सक के चला।।
लोग शब्दों से जताते हैं प्यार सीने में छुपाये रखते हैं गुब्बार उल्फत और प्यार समझने को सीने से लगाना पड़ता है मेरे यार शब्दों की ज़रूरत नहीं हर बार दिल की धड़कनें बयां करती मेरे हमसफर की असली पुकार।।