Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
एक बच्ची को‌ कंस ने मारा तो
वह आकाश की बिजली बन गई
वर्षा के समय खौफ पर्याय हो गई
हमने मारी  हैं कोख में लाखों बेटियां
शायद वो सब पाताल भैरवी से लड़ गई
और हमारी वंश वृद्धि सवाल बन गई।।
पानी में  पैर डालकर
प्रेमी जोड़े बैठे रहते थे
दूर किनारे बैठकर
हम भी सोचा यह करते थे
पास नहीं तो क्या हुआ
पानी तो एक ही है
रोमांस तो सोच में है
पास वाले तो संकोच में है
उनके जाने के बाद
उन्हीं सीढ़ियों पर कुत्ते
आराम फरमाते थे
देखकर उन कुत्तों को हम
भी युधिष्ठिर बन जाते थे
कहीं झील देखकर आज भी
मन‌ में उन‌ दृश्यों को भूना लेते हैं
और उम्र को झुठला देते हैं।।
ज्योतिषी बन हाथ देखना
वह तो एक बहाना था
कइयों को जलाना था
बनाना एक फ़साना था
गुड़ देख मक्खी की तरह
मुझे भी हाथ चिपकाना था
सहेलियों के कहकहों के बीच
तेरा वह नजाकत से हाथ छुड़ाना
भरता हुआ मेरा जिंदगी भर का
रोमांस का नायाब खजाना था।।
इश्क हमारा नादान उम्र में भी संजीदा था
पीपल के पेड़ के नीचे कनखियों से देख
मुस्कुराकर कर बस अंगड़ाइयां ले लेते थे
ना उसने कभी कुछ कहा ना हमने
बस बातें आंखें ही आंखों से  कर लेती थी।
अब झुर्रियों में इश्क फरमाना पेचीदा है
बस स्याह काकुलें देख कर
वाह! को आह के अंदाज में कहकर
बंद आंखों से बीता समय महसूस कर लेते हैं ‌।।
काले को सभी कहते काला
न ही किसी ने उधर नजर डाला
तूने जब गाऊन काला डाला
काले को बना दिया उजाला।।
आज एक बार फिर 'डियर'
बोल कर उसने सितम कर दिया
उम्र को धक्का देकर पीछे कर दिया
दिल के महल में एक दिया जला‌ दिया
अंदाज उसका यह हमें भी भा गया
उम्र हमारी भी दिल फेंक वाली नहीं फिर भी
उम्र के इस बरगद में 'प्रेम पंछी' के लिए
कोटर बनाना अब और भी आसान हो गया।।
ये मिंगसर की रात
पीली - पीली रोशनी
वर्कशॉप की चाशनी
और प्रोटेक्शन के साथ
चखते ही रह गये
बनी नहीं कोई बात
डाइवर्टर ने पकड़ा दिया
बस सलेक्टर का हाथ ।।
Next page