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समय बलवान, करता बड़े काम
बदले तो साल में दे कई मुस्कान
दशकों की उदासी का करके शमन
मुकम्मल कर दे फिर से वही मुकाम
जहां खड़े होते थे यों ही सीना तान ।।
चेहरे भी समां के मोहताज हैं
खिल गये तो आज पर नाज है।
सूखे बांधों में चलकर देखो
उजड़ना क्या होता है?
फिर से आबाद पर समझो
धैर्य क्या होता है ?
वक्त ऐसे भी कुछ आते हैं
लगता है फिर से खुल गई
कोई बार - बार पढ़ी हुई किताब
सितारों से खिल रहा आसमां
चहल-पहल युक्त है चंचल रैना
और खलल डाल रहा महताब।।
कभी होता था चलते -चलते
बस यूं ही सरे राह मिल गये
अब तो मुश्किल से मिल पाते
आनंद बस इस बात में आता है
जैसे थे वैसे ही मिल गये।।
नोकरी, छोकरी और शायरी
दो समय तो ये हर बार निखार पाते।
इसमें कभी भी पारंगत नहीं हो सकते
हमेशा ये सुधार की गुंजाइश ही रखते।
लफ्ज़ यहां बहुत महत्व रखते
बिगड़े लफ्ज़ तो ये नहीं बख्शते।
रात दिन का फेर नहीं समझते
जब लगे तलब  तभी जगा लेते।
व्यक्ति जब तक कुछ सोचता
तब तक तो ये मुंह बना लेते।
तीनों ही रत्न ये अद्भुत
एक दूसरे को पुष्ट करते।
Key
You are sweet as flowers
I follow you like a bee
You are a married
While I am a single
I think this relation
doesn't has a key
Only a good friendship may be.
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