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आज फिर दिल उदास है
लगता है तू मेरे पास है
फ़ैसला कोई अहम होगा
ऐसा हो‌ रहा आभास है।

ख्वाहिशों को लगी हैं सीढियां
बस तेरा ही‌ इंतजार है
कमियां जो कभी कचोटती थी
आज खड़ी बनकर कसूरवार हैं।

दीदार तेरा इतना अनोखा है
हर वस्तु में जैसे तू सुमार है
इल्तिज़ा बस इतनी सी है
मोती बन आंखों ना उतर जाना
आज होनी दृश्यों की भरमार है।
नारी तेरे तीन रूप
मां , बेटी और संगिनी
समर्पण,संवेदनशील
हर कला का स्रोत
परिस्थिति के अनुसार
भावों से ओतप्रोत
तुझसे ही है यह दुनियां
नित - नित नमन‌ है
तुझे जग जननी।।
इरादा जब पक्का हो
तो मिल ही जाता है हमदम
चेहरे की रंगत बदल जाती है
ख्वाब बदल लेते हैं हम।।
यह इश्क नहीं आसान
पहले देख- देख मुस्काना
फिर मिलने का ढूंढो बहाना
मिलो तो तारीफों का उलाहना
"झूठे - झूठे बार -बार सुनना"
बिन तारीफ तो पास क्या जाना
कभी गर्दन सुराहीदार बताना
कभी कमर का बल खाना
कानों के झूमके झूले
उनमें खुद को स्पर्श करते देखना
सब ठीक-ठाक हो तो शादी होना
उम्र भर उसका कुत्ता घुमाना
बाजार जाओ तो चुपचाप बैठे रहना
पर्स खाली होते देखना
फिर बैग उठा-उठा गाड़ी में रखना
घर आकर बच्चे कहें
पापा आपकी पसंद खराब ,मम्मी सब जानती है
अगली बार आप तो गाड़ी में ही रहना।।
        😀😀😀😀😀
कुछ शादियां शक्ल देख
कुछ होती देखकर दौलत
इश्क होता आंखें पढ़कर
शब्दों की ना मोहलत।।
आ गया फाल्गुन
लेकर मस्ती के दिन
पेड़ों पर कौंपल देख
मुस्काये मेरा मन।
मधु के प्याले छलकें आंखों
देख गौरियों का तन
गींदड़ , डांडिया खेलकर
पाऊं उनका संग।
मेरा रोमांस फैल रहा
ज्यों बारहसिंगा के सींग
कचनार सी गोरियां
सोच-समझ बढाइयो प्यार की पींग।।
यह जिस्म मेरा बन गया है मेरा ही क़फ़स
कानों गुंजें तेरे लफ्ज़, आंखों में तेरा अक्स।।
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