मेरे सीने में एक बात अटकी थी
मेरे लिए वो कितनो से ही लड़ी थी
आज जब मेरे और औलाद के बीच
दो राहे पर खड़ी थी
बड़ी लड़खड़ा सी गई थी
मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं था
वो सुनकर भी क्या करती
बर्फ़ की सिल्ली सी हम दोनों
के सीने पर पड़ी थी
कहना था तेरा कोई दोष नहीं
वक्त का तकाजा है
पर शब्द जवाब दे गये
बस ये बात सीने में अटकी थी।।