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Mohan Jaipuri Jan 2023
सर्दी में अंगुलियां लाल हो
खुजली फिर आने लगे
सरसों तेल की मालिश
बार बार मांगने लगे
समझो जवानी है जाने लगी।।

लोग कभी कभी पूछते हैं
स्वास्थ्य ठीक है ना
बच्चे ध्यान रखते हैं
गर्म पानी से नहाये हो ना
समझो जवानी है जाने लगी।।

बच्चे पेंशन कितनी बनेगी
ये जब पूछने लगें
तुम्हारे स्वास्थ्य के प्रति
तुमसे ज्यादा सचेत होना दिखाने लगें
समझो अब नम्बर हैं घिसने लगे।।

कोई बुढ़िया दु:खड़ा
तुम्हें अपना समझ के सुनाने लगे
उसकी बातों की गहराई को
जब समझने तुम हो लगे
समझो संजीदा तुम होने लगे।।

मन‌ तुम्हारा यह सोचने लगे
मेरे पास आनंद का समय कम है
मस्ती करने की इच्छायें
हिलोरें जब मारने लगें
समझो ये इच्छा कम, कुंठाओं का प्रलाप ज्यादा
कदम सोच- समझ कर उठाना
असल में तुम हो सठियाने लगे।।
Mohan Jaipuri Jan 2023
तू गुड़ मीठा मीठा
मैं तिल गर्मी लिए
तेरे और मेरे मिलने से
लड्डू मकर संक्रांति
के हो लिए।।

तू डोर चंचल चंचल
मैं पतंग रंगीले रंग का
तेरी आदत कभी ढील की
कभी कस-कस पेंच खींचने की
दूर जाकर समझ आया‌
मैं राही तेरे इशारों का।।

तू ही डग्गा , तू ही तिहली
मैं ढोल कसी चमड़ी वाला
तेरे हाथों के जादू से आवाज
निकलती दे ताला दे ताला।।

तू ही भांगड़ा तू‌ ही घूमर
तू ही जीवन सुर-संगीत लिए
तेरे शब्दों में ‌वह ऊर्जा
जैसे माघी धूप तरूणाई लिए।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
तुम एक किताब हो
जिसके पृष्ठ हैं बेसुमार
पढ़ते-पढ़ते मैं हुआ
अब चंचल से लगनवार
ना गीता ना बाइबल तू
फिर भी दोहराने के काबिल तू
दोहरा - दोहरा के मैं हुआ पागल
कर तेरे एक श्लोक में शामिल तू
दुनिया रूपी युद्ध भूमि में
तू ही एक ढाल है
तेरे भावों से भरा हुआ
मेरा यह कपाल है
क्रिसमस की तरह प्रेम
की तू अद्भुत मिसाल है
तेरी लगन में डूबा रहना
लगता है जश्न का माहौल है।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
खुशियों के पल
जीवन में केवल उपहार हैं
घंटों के मेहमान
ये नहीं वफादार है
रंग-बिरंगे तेवर वाले
ये नहीं सदाबहार हैं
ये अविश्वसनीय,अकल्पनीय
जीवन की हकीकत से
इनका कम ही सरोकार है।।
Mohan Jaipuri Dec 2022
आंसूओं को एक उम्र के
पड़ाव के बाद ‌ना‌ करें बर्बाद
देखने वाला‌ कोई नहीं
उल्टे आंखें होंगी खराब
यदि हृदय उमड़े तो
करो पुराने दोस्त याद
सोचो‌ जो‌ साथ रहते थे
उनकी‌ भी तो थी एक मियाद
नयी पीढ़ी में अब नहीं
वह पुराने जज़्बात
सोशल मीडिया की स्रोता
ना समझे आपकी बात।।
Mohan Jaipuri Nov 2022
दक्षिण से शुरू एक संदेश
"भारत जोड़ो" जिसका नाम
बच्चे, बड़े और बुजुर्ग शामिल हो
फैला रहे हैं एक पैगाम
भारत देश की खूबी है
अनेकता में एकता
गहराइयों तक डूबी है
सड़क पर उतरें मां-बहनें
समझो बड़ी‌ मजबूरी है
मंहगाई और बेरोज़गारी
इस वक्त सब पर भारी है
भूखे प्यासे जब हों इकट्ठा
समझो  बात अब न्यारी है
भावनाओं के‌ सागर में
डूबे हमेशा अंहकारी हैं
शब्दों से ना करो आखेट
करोड़ों का खाली है पेट
करोड़ों हाथ बिना काम
कहां जायेंगे चढ़ बुलेट
जागो जागो अब भी जागो
कहीं और हो जाये ना देरी
प्रजातंत्र की रणभेरी
ना तेरी है ना है मेरी।।
Mohan Jaipuri Nov 2022
खाना हमेशा ही अच्छा होता है
बस विकल्प का खेल है
बीवी बनाये कई सब्जियां
फिर भी नाक सिकुड़ती है
अकेला रह कर वही व्यक्ति
मिर्च खाकर कहता मस्ती है
समझाये कोई समझ ना पाये
वक्त के हाथ नकेल है।।
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