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Mohan Jaipuri Jun 2022
अध्यात्म के गांधी का ही
दूसरा नाम कबीर है
जिनकी रचनाएं पढ़कर
जागता आज भी जमीर है।।
Kabir Jayanti
Mohan Jaipuri Jun 2022
खिलना फूलों का और
चहकना‌ मेरे यार का
बस इतना सा सार है
मेरे इस संसार का।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
जो तितली जैसी चंचल है
वह मेरे दिल की हरियाली है
रंग-बिरंगे रंगों से सजती
लगती मधु की प्याली है।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
अट्ठाइस साल ,एक विभाग
फिर भी एक कागज पर
किये हस्ताक्षर दूसरी बार
वह चार्ज लेन- देन था कालू का
इस बार सामने अरूपता का ढेर
देखकर लगता है टिला बालू का
जीवन‌ है खाण्डे की धार
ढाल हैं हमारे ताल्लुकात।।
Signed on same paper after 28 years with LK Daga
Mohan Jaipuri Jun 2022
जो चमकती नजरें देखा
करती थीं कभी सपने
वो नजरें हो चली हैं धुंधली
सपने सारे हाथों से फिसले
यादें बन गई हैं अब खुजली।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
आज कॉफी ‌‌कड़क है
फूलों का रंग चटख है
मौसम बहुत शुष्क है
बस तेरे ही संदेश से
जिगर में थोड़ी ठंडक है।।
Mohan Jaipuri Jun 2022
मेरा दिल है घना जंगल
तू हो गई इसकी माली
ले हंसिया अब तू आजा
खिला दे गुलाब की डाली।।
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