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Mohan Jaipuri
60/M/India
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Mohan Jaipuri
Mohan Jaipuri
Jun 2022
मेरा संसार
खिलना फूलों का और
चहकना मेरे यार का
बस इतना सा सार है
मेरे इस संसार का।।
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Mohan Jaipuri
Jun 2022
हरियाली
जो तितली जैसी चंचल है
वह मेरे दिल की हरियाली है
रंग-बिरंगे रंगों से सजती
लगती मधु की प्याली है।।
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Mohan Jaipuri
Jun 2022
हमारे ताल्लुकात
अट्ठाइस साल ,एक विभाग
फिर भी एक कागज पर
किये हस्ताक्षर दूसरी बार
वह चार्ज लेन- देन था कालू का
इस बार सामने अरूपता का ढेर
देखकर लगता है टिला बालू का
जीवन है खाण्डे की धार
ढाल हैं हमारे ताल्लुकात।।
Signed on same paper after 28 years with LK Daga
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Mohan Jaipuri
Jun 2022
खुजली
जो चमकती नजरें देखा
करती थीं कभी सपने
वो नजरें हो चली हैं धुंधली
सपने सारे हाथों से फिसले
यादें बन गई हैं अब खुजली।।
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Mohan Jaipuri
Jun 2022
जिगर की ठंडक
आज कॉफी कड़क है
फूलों का रंग चटख है
मौसम बहुत शुष्क है
बस तेरे ही संदेश से
जिगर में थोड़ी ठंडक है।।
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Mohan Jaipuri
Jun 2022
घना जंगल
मेरा दिल है घना जंगल
तू हो गई इसकी माली
ले हंसिया अब तू आजा
खिला दे गुलाब की डाली।।
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Mohan Jaipuri
Jun 2022
ख्वाबों की मलिका
तू मेरे ख्वाबों की मलिका
तेरा देख चेहरा दिल धड़का
यह दुनिया लागे फीका साग
तू लगे उसका तड़का।
तू मेरे ख्वाबों की मलिका......
गीत दुनिया के लगे शोर
बस तेरे स्वर चितचोर
तू आज खामोश है
पेन कवि का अटका।
तू मेरे ख्वाबों की मलिका......
रंग दुनिया के लगें सब फीके
महक फूलों की गायब
बस तेरा ही श्रृंगार देख
मेरा होता नैन मटक्का।
तू मेरे ख्वाबों की मलिका
तेरा देख चेहरा दिल धड़का।।
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