जीवन जटिल से जटिल हुआ उम्र के हर मुकाम पर जीवन की साध बढ़ती गई इसके हर नये आयाम पर चाहा था संगीत,मिल रहा है क्रंदन यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण
संबंधों की पकड़ ज्यों ज्यों ढीली पड़ती अंदर की छटपटाहट बढ़ती भावों का उभार आता त्यों त्यों सहने की ताकत बढ़ती सत्य स्वीकार नहीं,झूठ का है अभिनंदन यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण
प्रश्नों पर मनन नहीं ,उनका करते हैं दमन उत्तर कहां से पाओगे,जब मन में नहीं चैन आरोपों की नाव पर कब तक होगी सवारी एक दिन तो खत्म होगी ये सब खवारी ये खुराफाते तब तक लील जाएगी जीवन यही है वर्तमान का असली चरित्र चित्रण