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Mohan Jaipuri Sep 2020
भोग भोग सब भये उदास
सूंघ सूंघ‌ ना रुकी सुवास
स्वास स्वास बसे है आस
स्वास प्रबंध ही है मधुमास।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
World of poetry
Based on imagery
Improved by
art of speakry
Does not need
mamoth dictionary
But words
should carry
some etiquette
necessary
Mohan Jaipuri Sep 2020
कविता का संसार
कल्पना है
इसका आधार
भंगिमाएं लाती हैं
इसमें निखार
शब्द मिलते
नहीं यहां उधार
शब्द कम हों चाहे
पर होना चाहिए
उनमें भार ।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
एक कड़ी
खुशियों की लड़ी
शिशु ने पकड़ी
किशोर ने छोड़ी
तब से है सबकी
यादों में पड़ी
सतरंगी सी वह
बाल्यावस्था की घड़ी
Mohan Jaipuri Sep 2020
हिंदी वालों को हिंदी में
अंग्रेजी वालों को अंग्रेजी में
कईयों को टनों में तो
कईयों को किलो में
यों ही लूटाते जायें
सदाचार की खूशबू‌
इस जहां में
शायरी तो इसलिए
करते हैं‌ कि खोज
सकें कोई रहबर इस
जीवन जंग-ए-मैदान में
Mohan Jaipuri Sep 2020
चेहरा देखूं तो
लगे गुलाब
आंखें देखूं‌
तो जादू
दांत देखूं तो
लगे रत्नावली
ओंठ देखूं
तो शोले
इश्क‌ वो
बिमारी है
जहां‌ मस्तिष्क
कुछ ना बोले।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
The desires suppressed
Will leave you depressed
in this world and haunted
in the another world.
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