Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
 
Mohan Jaipuri Sep 2020
दोस्त भी आजकल
दारू की तरह हो गए
चांदनी में हसीन
सपने बेचते
धूप में बोली से
खजाने भरते
जो वक्त ना समझे
उसके हिस्से में
"माफी" आए
सुनकर इसको
कोई क्यों चकराए।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
यह इश्कबाजी ही है
शायरी की हवा ताजी
यह दर्द तो यूं ही बदनाम है
और मय को शामिल
करना एक लफ्फाजी
Mohan Jaipuri Sep 2020
बुढ़ापा नहीं यह है उम्र सुनहरी
थोड़ा सा अपनापन दो और
देखो यह  सयानेपन की ढेरी ।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
Ahoy!
My poem is
a' article today
Avast ye!
My ***** is
full of poems
Today I'm
One day cap'n
I'm firing
in the hole
No prey No pay
No quarter given
Yo- **- **
September 19 is talk like a pirate day. Read , enjoy and keep on wondering HPians.
Mohan Jaipuri Sep 2020
आज के जमाने में
लोग स्वार्थ से जुड़ते हैं
परमार्थ के नाम से
दूर भागते हैं
पर मानवता कि नींव
परमार्थ पर टिकी है
शायद इसीलिए जीवन की
रंगत बहुत फीकी है।।
Mohan Jaipuri Sep 2020
तू होती डायरी
मैं होता अल्फाज
तू खुलती
मैं लिखा जाता
होता लेखन
पर नाज
ना दूर होने
का डर होता
साथ- साथ ही
देते हसीन ख्वाबों
को परवाज
Mohan Jaipuri Sep 2020
अगर होती ह्रदय की पीड़ा
मैं करती शब्दों से क्रीड़ा
लिख लेती एक कविता
पठन करती बन एक सरिता
पर आज है श्रृंगार की पीड़ा
चमक रही हूं जैसे अग्न जखीरा
कहीं‌ से आये मेरा पतंगा
समा मुझमें भये‌ अंतरंगा।।
Next page