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ओ मानव , तू शूरवीर नहीं
तू तो परमार्थ का ढोंग मंचन
तू कल्याणकारी नहीं
क्रूरता का बुज़दिल उदाहरण
तू तो वह विद्रोहमयी ज्वाला
जो भूल सा गया हैं मानव परिभाषा
कभी स्वयं से तूने हैं पूछा
की क्या जि़न्दगी का तात्पर्य महज जीना
या फिर सफलता-असफलता?
क्या तूने कभी खुले नेत्रों से देखा
इस धरा की नैसर्गिक सुंदरता
जिन्दगी कृत्रिमता नहीं
मोह-माया भी नहीं
यह तो स्वर्ग का दूसरा नाम हैं।
 Nov 2017 Lupita Rosales
Em
I'd inhale it wishing it would **** me.


sincerely , dad.

— The End —