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Yashu Jaan Jun 2019
बेहद ख़तरनाक कविता यशु जान  

सपना देखकर अचानक उठना,
है बेहद ख़तरनाक,
ग़लती ना होते हुए भी झुकना,
है बेहद ख़तरनाक,
दुश्मन के मुँह पे हंसना,
है बेहद ख़तरनाक
बैठे - बैठे ही थकना,
है बेहद ख़तरनाक
पुलिस को देखकर छुपना,
है बेहद ख़तरनाक,
है बेहद ख़तरनाक

नेवले का सांप से सामना,
है बेहद ख़तरनाक,
दुश्मन के दुश्मन का हाथ थामना,
है बेहद ख़तरनाक,
सरकार के साथ यारी,
है बेहद ख़तरनाक
और लाइलाज बीमारी,
है बेहद ख़तरनाक,
चलते - चलते एकदम रुकना,
है बेहद ख़तरनाक,
सपना देखकर अचानक उठना,
है बेहद ख़तरनाक

रूह का बेहद तड़पना,
है बेहद ख़तरनाक,
किसी की याद में भटकना,
है बेहद ख़तरनाक,
रिश्ता नया बनाना,
है बेहद ख़तरनाक
फ़िर निभा ना पाना,
है बेहद ख़तरनाक,
अजनबी का घर में घुसना,
है बेहद ख़तरनाक,
सपना देखकर अचानक उठना,
है बेहद ख़तरनाक

इज़्ज़त को ताश मानना,
है बेहद ख़तरनाक
ख़ुद को बूज़दिल जानना,
है बेहद ख़तरनाक,
यार को घर बुलाना,
है बेहद ख़तरनाक,
घर का सदस्य बनाना,
है ख़तरनाक,
यशु जान ग़ुरबत में ठुकना,
है बेहद ख़तरनाक,
सपना देखकर अचानक उठना,
है बेहद ख़तरनाक,
ग़लती ना होते हुए भी झुकना,
है बेहद ख़तरनाक


यशु जान
यशु जान
Yashu Jaan Jun 2019
मृदुला - जसवंत - यशु जान


उनके नाम दो हैं रिश्ता एक है ,
एक का दिल पत्थर एक का नेक है ,
प्यार में लड़ाई लाज़मी है होनी ,
उबलते गुस्से से फ़िर निकलता सेक है ,
नाम के विपरीत हैं दोनों ,
करते बात हैं बड़े अदबों की ,
एक यश , कीर्ति को ढूंढे ,
दूसरा चाहे मिठास लफ़्ज़ों की ,
उनके नाम दो हैं रिश्ता एक है |

रूठ जाते हैं , मान जाते हैं ,
लड़ते समय भूल पहचान जाते हैं ,
गुस्सा ठंडा हो तो तब याद आता ,
हम एक दुसरे पर ईमान लाते हैं ,
आँखें बंद कर पहचान लेते ,
आहट एक - दुसरे के क़दमों की ,
एक यश , कीर्ति को ढूंढे ,
दूसरा चाहे मिठास लफ़्ज़ों की ,
उनके नाम दो हैं रिश्ता एक है |

इश्क़ में कोई , ज़ात - पात ना ,
अलग होने की अब करते बात ना ,
समझ है उनको साफ़ दिल वालों के ,
ढूंढने से भी मिलते हैं साथ ना ,
बात अलग ही होती यशु जान ,
इन इश्क़ के पाकीज़ा नग़्मों की ,
नाम के विपरीत हैं दोनों ,
करते बात हैं बड़े अदबों की ,
एक यश , कीर्ति को ढूंढे ,
दूसरा चाहे मिठास लफ़्ज़ों की ,
उनके नाम दो हैं रिश्ता एक है |

मृदुला - जसवंत - यशु जान
मृदुला - जसवंत - यशु जान
Yashu Jaan May 2019
सरकारों के झोल

मेरा सिर झुक गया शर्म से ,
देखकर भूख से तड़पता इंसान को ,
ज़ुबान बाहर आ गई मेरे हलक से ,
ग़रीबी के हालात में देख निकलती जान को

सरकार कहती है खज़ाना ख़ाली है ,
ये कहना जनता के मुँह पे गाली है ,
मैंने तो हर चीज़ पे कर चुकाया है ,
साबुन , तेल या मेरी कमाई माया है ,
फिर भी खज़ाना इनका ख़ाली पाया है ,
कैसी समस्या घेरे है हिंदुस्तान को ,
मेरा सिर झुक गया शर्म से

सरकारी तनख़्वाह समय पर आती ,
मज़दूर की मज़दूरी घटती ही जाती ,
क्या बताऊं मिट्टी में मिल गई जवानी ,
सरकारें कर रही हैं अपनी मनमानी ,
जनता को मूर्ख समझे जनता है ज्ञानी ,
भूल गए आज़ादी के उस वरदान को ,
मेरा सिर झुक गया शर्म से

फ़िल्मी सितारे करोड़ों में कमाते भाई ,
हवाई जहाज़ों में घूमें इतनी है कमाई ,
वो बच्चा भला किसे सुनाए अपना दुखड़ा ,
चुराता पकड़ा जाये जो रोटी का टुकड़ा ,
देखने वाला होता है उसका मासूम मुखड़ा ,
कोई तो हल बता मौला यशु जान को ,
मेरा सिर झुक गया शर्म से

यशु जान ( प्रसिद्द लेखक और असाधारण विशेषज्ञ )
संपर्क : - 9115921994

यशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और अंतर्राष्ट्रीय लेखक हैं। वे जालंधर शहर से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं । उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं। उनकी कविताएं और रचनाएं बहुत रोचक और अलग होती हैं | उनकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी और हिंदी में हैं और पंजाबी और हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पे हैं |उनकी एक पुस्तक 'उत्तम ग़ज़लें और कविताएं' के नाम से प्रकाशित हो चुकी है | आप जे . आर . डी . एम् . नामक कंपनी में बतौर स्टेट हैड काम कर रहे है और एक असाधारण विशेषज्ञ हैं |उनको अलग बनाता है उनका अजीब शौंक जो है भूत-प्रेत से संबंदित खोजें करना,लोगों को भूत-प्रेतों से बचाना,अदृश्य शक्तियों को खोजना और भी बहुत कुछ | उन्होंने ऐसी ज्ञान साखियों को कविता में पिरोया है जिनके बारे में कभी किसी लेखक ने नहीं सोचा,सूफ़ी फ़क़ीर बाबा शेख़ फ़रीद ( गंजशकर ), राजा जनक,इन महात्माओं के ऊपर उन्होंने कविताएं लिखी हैं |
यशु जान ( प्रसिद्द लेखक और असाधारण विशेषज्ञ )
संपर्क : - 9115921994
Yashu Jaan Jun 2019
ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਮੈਂ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ

ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਮੈਂ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ,
ਡਰਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਅੱਗ ਕਿਸੇ ਦੇ ਜਿਸਮ ਨੂੰ ਲਾਕੇ,
ਸੜਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਮੈਂ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ |

ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਤੋਂ ਲੈ ਨਹੀਂ ਖਾਧਾ,
ਪੈਸਾ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦਾ,
ਧੀ - ਭੈਣ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਕੀਤੀ,
ਇੱਜ਼ਤ ਮੇਰੀ ਦੇ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ,
ਇਲਜ਼ਾਮ ਆਪਣਾ ਕਿਸੇ ਦੇ ਸਿਰ ਤੇ,
ਮੜ੍ਹਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਮੈਂ ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ,
ਡਰਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ |

ਨਾ ਮੈਂ ਮਰਨਾ ਲੈਕੇ ਫਾਹੇ,
ਨਾ ਸੜਕ ਨਾ ਵਿੱਚ ਚੌਰਾਹੇ,
ਟੂਣਾ ਵੀ ਮੈਂ ਕਦੇ ਨਾ ਕੀਤਾ,
ਦੁਨੀਆਂ ਜਿਸਦੇ ਲੈਂਦੀ ਲਾਹੇ,
ਕਿਉਂ ਅੱਗੇ ਮੌਤ ਦੇ ਹੱਥ ਜੋੜਕੇ,
ਖੜ੍ਹਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਮੈਂ ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ,
ਡਰਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ |

ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਬਚਾਵਾਂ,
ਕੌਡੀ ਨਾ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਖਾਵਾਂ,
ਗੱਦਾਰੀ ਤੋਂ ਚੰਗਾ ਹੋਊ,
ਲੈ ਲਾਂ ਮੌਤ ਦੇ ਸੰਗ ਮੈਂ ਲਾਵਾਂ,
ਫੁੱਟ ਦੇ ਕਰਕੇ ਆਪਣਿਆਂ ਨਾਲ,
ਯਸ਼ੂ ਲੜਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਮੈਂ ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ,
ਡਰਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਅੱਗ ਕਿਸੇ ਦੇ ਜਿਸਮ ਨੂੰ ਲਾਕੇ,
ਸੜਨਾ ਪੈ ਜਾਏ ਮੈਂਨੂੰ,
ਮੈਂ ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ |
ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਮੈਂ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਯਸ਼ੂ ਜਾਨ

— The End —