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मायानगरी की माया

मायानगरी की माया तो जरा देखो, लोक पूरे देश से उमड़के आ जाते हैं यहां

गाँवका बडा सा घर छोड़ के आते हैं यहाँ, सर भी मुश्किलसे छिपता नहीं जहाँ

खुदका सब कुछ लगाके दाँवपर, बेचकर आ जाते है, किस्मत अपनी आजमाने यहाँ

करनि पड़ती हैं तन तोड़, कड़ी मेहनत, उठानि पड़ती हैं खूब जेहमत, फिर भी आ जाते हैं, मायानगरी में रहने यहाँ

बम्बई नगरी में जैसे कोई खिंचाव महसूस होता है, कोई लोहचुम्बक हो; लोक आते ही रहते हैं यहाँ

समुन्दर की लहरे जैसे आती ही रहती है किनारे, वैसे ही लोक खिंचे चले आते हैं यहाँ

भोजन तो मिल भी जाए पर घर और नौकरी मिलती नहीं है यहाँ;

कुटुंब काबिले से रहना पड़ता है दूर, अकेले यहाँ, फिर भी न जाने क्यों लोक आते है यहाँ !

बॉम्बे से तो बन गया है यह मुम्बई, अब क्या बनेगा एक मायापुर या मयनगर यहाँ?

काश टाटा बसा लेते एक नया नगर बॉम्बे जैसा, टाटानगर; तो लोगों को घर, खाना पानी मिल जाता यहाँ ।

Armin Dutia Motashaw
मालिक मेरे

काश होता यह दिल बेदिल, पत्थर सा !

क्यू बनाया तुने इसे नरम मोम सा ?

अनुभवता है यह भारी पीड़ा  हर समय ।

दर्द और पीड़ा, हो जाती है असहय;

जब देखते है दुख ऑरोका, उनकी मुश्किल;

तब रो लेता है, तड़प उठता है यह दिल ।

अरे अरे मालिक मेरे, यह क्या कर डाला तुने !

रास न आये यह दुनियां के रिवाज़, जो बनाए तुने।

कच्ची कलियों को मसलना, इतने बलात्कार;

असहाय, बूढ़े मात पिता का, करना बहिष्कार ;

अगर बच्ची हो तो, करवाना उस मासुमका गर्भपात;

या वो शराबी पति, जो मारता है बीवी बच्चों को लात ।

क्या हो गया है इस जहां को, क्यों है इतने कंस !

याचना करू, छोड़ दे ओ मालिक मेरे, बनाने उसके वंश ।

Armin Dutia Motashaw
मिलन

खिला है चांद, पुर बहार, किए सोलह श्रंगार।
देख उसे, धड़कता दिल मेरा, करे यह पुकार;
"आजा प्रीतम, छाई है यहां बरखा बहार।"

रात आज लग रही है हसीन, बुंदोकी हो रही है फुहार।
खड़ी हूं मै, नैन बिछाए, किए सोलह श्रंगार
काश आज यह कातिल जुदाई की होजाए हार।

पिया- मिलन कि आश में, हो रही हूं बेकरार।
आयेंगे प्रीतम, करूंगी जी भरके प्यार
आज की रात होगा दो दिलों में, प्यारका इकरार।

Armin Dutia Motashaw
मिलन

कितना हसीन है यह रंगीन नज़ारा !

विशाल बहती नदिका सुनहरा किनारा !

और आज मौसम भी है नशीला, बड़ा ही प्यारा ।

चंचल है लहरें उसकी, और तेज है धारा;

उसकी यही चंचलतापे, सागर उसका दिल हारा

उसे अपनी बाहोंमें लेने, फिरता है मारा मारा ।

कितना दिलकश, कितना हसीन है यह नज़ारा ।

कश्ती में कोई, आज शायद मिलन होगा हमारा

सदियों बाद मिलेंगी मौज से मौज; एक हो जाएंगी जीवनधारा ।

नदी चली है सागर में समाने, चली छोड़ के अपना किनारा ।

खिल उठी है वो; पि से होगा आज मिलन, बड़ा ही प्यारा;

दिलकश होगा बड़ा, यह मिलन का, यह प्यारा नज़ारा।

Armin Dutia Motashaw
मिलन

एक पल मिलके बिछड गई है फुल से हवा, अभी अभी;

तो, नदिया मे, मौज से मौज मिलके बिछ्डी न कभी !

हवा ने भर दी अपने अंदर, अपने अस्तित्व में  फुल की महक;

सूंघ इसे, खुशी के मारे, चिड़िया रही है  चहक !

प्यार मे जब मिलन होता है तो होता हे वो बडा  सुहाना

चंदा और चकोरी के  मिलन को चाहिये कहा  कोई बहाना

धरती और आकाश के मिलन की बात भी, होती है बार बार

नदी और सागर के मिलन की, एक दूजेमे समाने की हर कोई करता है बात

दिलसे दिल के मिलन  की तो क्या करू बात; यह तो है प्रभू की सौगात

Armin  Dutia  Motashaw
मीठे बोल

प्रिए, प्यार के दो मीठे बोल तू, मेरे लिए बोल

कटुता भरे जीवन में मेरे, थोड़ी मिश्री तु घोल

पतझड़ सा है जीवन मेरा, तेरे गीतों से मधुरता घोल

सुर कुछ ऐसे छेड़, की तेरे राग पे जाऊं मैं डोल

जीवन में है चाहत यह, के मिले मुझे, तेरा प्यार अनमोल

न दे सके प्रीत , तो दो मीठे बोल तू दे बोल ।

Armin Dutia Motashaw
मीरा रानी

दुःख से थी वो दीवानी

आंखो में भरा था पानी

थी छाई, भरपूर जवानी

व्याकुल थी बहुत मीरा रानी ;

हो चुकी थी वो मनमोहन की दीवानी ।

मुखसे गाती थी वो गीत, दीवानी

नाच रही थी लेके इकतारा; थी जो एक महारानी

प्रेम में नट नागर के, बन गई मस्तानी ।

उदा की नज़र से थी वो अनजानी

प्रीत में, मनमोहन की हो चुकी थी दीवानी ।

मौत से था नहीं उसे खौफ; जीवन तो है, आनी जानी

मनमोहन में खो चुकी थी वो दीवानी

याद रखिएगा यह प्रेम कहानी

प्रेम ने बना दिया था एक रानी को दीवानी ।

कृष्ण की थी वो दासी, प्रेम प्यासी, मीरा रानी ।

Armin Dutia Motashaw
मीरां की पीड

दिल मेरा, पर गिरिधर, उसपे पुरा बस तेरा

प्रीत मेरी, पर रित तो उसपे मनमोहना, तेरी

एक छोटासा जुठ क्या कहा किसिने, बता के  मूर्ती तेरी;

जन्मो जनम के लिए, मै हो गई तेरी दिवानी

न  राणाजी हो सके मेरे, न मै उनकी; सदा रही पराई

मन मोहन, यह क्या बात हुई , रानी से बना दिया मुझे दासी ।

मीरां की पीड तुने न जानी, छोड़ दिया उसको बनाके दिवानी ।

अब भटके वो गली गली लेके एकतारा, गाये गीत तेरे

पुकारे तुझे गा गा कर,
"गिरिधर नागर, मीरां है तेरी दीवानी "

मीरां की पीड किसिने न जानी, बन बन भटके बिचारि ।

Armin Dutia Motashaw
मुस्कुराहट

ऐ बेदर्द ज़माने, क्यों छीन ली तूने मेरी मुस्कुराहट

दिखती नहीं बस कभी सुनता हूं उसकी आहट

वो, जो चिपक के हरदम रहती थी मेरे साथ;

छोड़ दिया उसने मेरा थामा हुआ हाथ ।

चली गई वो, करके मुझे बरबाद ।

अब न जाने कब हूंगा मै आबाद !!!!

आजा, तुझे मै दिल से पुकारू, आ भी जा

इस तरह मुझे न तड़पा और तरसा

होठ मेरे सुक गए, चेहरा है मायूस, मुरझाया

यू न इत्रा; इतना भी वाक़्त न कर ज़ाया ।

Armin Dutia Motashaw
मेरा कान्हा तु

तु तो है मेरा नन्हा मुन्ना कन्हैया,
मै तेरी मा, तेरी यशोमती मैया ।
पा के तुझे, किनारे आयि, मेरी नैया ।

चलना सिखाया तुझे, पकड़कर तेरी बैया;
जब लड़खड़ाते थे तेरे नन्हे नन्हे पैया,
ओ मोरे प्यारे, नन्हे नटखट कन्हैया ।

मां का दुलारा तु, मा का प्यारा तु;
इस दुनियां में, सबसे न्यारा भी तु ।
मेरी बूढ़ी आंखो का, चमकता तारा तु ।

छोटा सा है अब, फिर भी एक सितारा है तु ।
और कुछ न जानू, बस बहुत प्यारा है तु ।
बड़ा हो ने पे, बन जाना मेरा सहारा तु ।

तेरी यशोमती मैया, लेती है तेरी बलैया

Armin Dutia Motashaw
मेरे सपने में आये साई

हुए धन्य भाग मेरे, मेरे सपने में आए मेरे साई

गिर रही थी मै सिडियोसे, दिख रही थी मुझे एक गंदी खाई

फिरसे ऊपर चढ़ना जब लगा नामुमकिन, और मैं थी घबराई

तब अचानक, पलभरमे उठा लिया मुझे किसीने; वो थे मेरे साई

खड़े होकर जब देखा ऊपर, तो मुस्कुरा रहे थे मेरे साई

मै क्या कहूँ, कैसे धन्यवाद मानु आपका; आभार व्यक्त करने हु आयी

भले था वो एक सपना, पर सुकून मिला मुझे, जैसे थी वह एक सच्चाई

निहारने तुझे, तेरी तस्वीरको, मैं शुक्रिया अदा करने हु आयी

Armin Dutia Motashaw
यह ख्वाहिशें

एक बिरहन पुकारे......

क्या करू, जाती नहीं दिल से, यह ख्वाहिशें मेरी;

कुछ भी करू, जाती नहीं दूर दिल से, यह यादे तेरी

दिमाग कहता है, हटा दें इन्हे तु, दिल से कर दे दूर;

दिल कहता है, संजो के रख तु इन्हे; कर रहा है मुझे मजबूर

क्या करू, इस कश्मकश में उलझा है दिल, जले मोरा जिया ।

क्या करू समझ न आए, मुझसे रूठ गए हैं मेरे पीया ।

काश मिले उनकी एक झलक, यह ख्वाइश लिए बैठे हैं

आे बिछड़े प्रीतम, तोरी आश लगाए कबसे बैठे हैं

बारिश तन भिजाए; पर दिल में आग लगाए ख्वाइश सजन की

कोयलिया की मीठी कुक भी,  ख्वाइश जगाए मधुर मिलन की।

सावन आया तुम न आए, पिया, कब तक राह निहरू तोरी ।

क्या पूरी होगी कभी, यह दिलो जान की ख्वाइश मोरी ?

Armin Dutia Motashaw
अक्सर अपने ही देते हैं गहरा घाव;

जरूरत रही नहीं अब यहां से जाओ

फिर भी उम्मीद लिए बैठा है, कभी कहेंगे आव ।

जरूरतों का रिश्ता बनता है यहां ;

इसी को लोग कहते है मतलबी जहां ।

Armin Dutia Motashaw
यह शाम

शाम सुहानी ढल रही है; हवा ठंडी चल रही है ।

तन, मन, रूह को धीरे धीरे सहला रही है ।

पर इस सुहानी शाम, जला रही है, मोरा जिया;

पंखी घर लौट रहे हैं, तुम कब आओगे पिया ?

बस चंद्रमा खिल रहा है, बादलों से आंखमिचौली खेल रहा है ।

पर अमावस मेरी बड़ी लम्बी है, दर्द जुदाई का, लंबा सहा है ।

अब आ भी जाओ, इतना भी न तड़पाओ;

पुकारती हूं दिल से, आओ, आ भी जाओ ।

Armin Dutia Motashaw
यह संसार

"सीने में सुलगते हैं अरमान", गाती हूं यह गीत;
प्यार की हो गई हार, और मतलबी दुनियां की जीत।

चाहा था अपनो का साथ, थोड़ासा प्यार;
पर यहां तो चलता है व्यापार, बड़ा कठोर है यह संसार ।

इस से तो अच्छा था वोह भरम, ठीक था वो फरेब;
भले वोह था एक भ्रम; समझो थी वह हमारी एक  ऐब ।
मतलब का होता है व्यवहार;
मात पिता को छोड़ के, झूठा सारा संसार।

Armin Dutia Motashaw
राधा - कृष्ण

ओ कन्हाई,

भले तुझे सारि दुनियां भगवानके रूपमें पूजे, तुझे तारणहार माने,

पर कान्हा, तू है राधा बिना आधा, यह भी सारी दुनिया जाने

राधाने जुदाई में तेरी, आंसू न बहाये, यह दुनियां कैसे माने ?

पर डरती थी वो, उसकी आँखोंमें बसा तू, उसके असवन के संग, कहीं बह न जाए,

इस लिए राधाने बेहद गम सह कर भी, अपनी आंखोसे आंसू न बहाये ।

उसके दिलका दर्द, उसके मन की पीड़, वो आजभी, मनमें ही बैठी है छुपाये ।

न जाने क्यों आखिर राधाको उसका प्यार, उसका कान्हा क्यों नहीं मिला ?

इन दो प्रेमिओकी जुदाई का हमेंशा रहेगा चर्चा, हर प्रेमिके दिलमें, रहेगा गिला।

मैं भी सदा सोचती हूँ, उन्हें उनका यह शुद्ध बेपनाह प्यार, आखिर क्यों नहीं मिला ?

क्या कोई बता सकता है ???

Armin Dutia Motashaw
राधिका रोये

मैं हूं वो सीप, बिना एक भी कीमती मूल्यवान मोती;

धुंधली पड़ गई है मोती सारते हुए अब मेरे नैननकी ज्योति

मोती आँखोने मेरी, तेरी याद में, न जाने कितने बहाये

तेरे इंतज़ार में मैंने न जाने कितने साल है गवांए

मोती मेरे बन गए है पानी, कीमत इनकी तूने न पहेछानी

दिलका दर्द जो मोती बनके बहा, उस दर्दकि कदर तूने न जानी

क्या कहूं तुझे, तू तो है अब एक राजा, ओ मेरे मथुरावासी !

कब मिलोगे मुझे तुम, ओ कन्हाई, राह निहारु ओ  अविनाशी !

Armin Dutia Motashaw
राम नवमी

जन्म दिन की शुभ कामनाएं आपको, हे राम

सदा भजे हम आपका और सीताजी का नाम ।

घर घर में हो आप जैसा पुत्र, अमर रहे आपका नाम ।

पर दुख हो रहा है, आप हो रहे हो बदनाम

एक तरफ, जग करता है आप की अर्चना  पूजा,

लेते हैं आप से सीख और ऊर्जा;

दूसरी ओर आप के नाम से मचा रहे हैं हल्ला, चलाते हैं आरी;

जब आप तो थे शांति प्रिय, प्रेम पुजारी; पुत्र थे एक आज्ञाकारी

रामजी हमें आप के पद चिन्हों पे चलने की दिखाओ राह

हमारे कारण, निकले न किसी के आंसु और  आह ।

भारत वर्ष का हो संसार में ऊंचा नाम;

ऐसा कुछ कीजिए, हे दशरथ पुत्र, श्री राम ।

Armin Dutia Motashaw
रिश्ते

रिश्ते हसाते भी  है और रुलाते भी है बार बार
पर अब तो रिश्ते ही बदलने लगे हैं लगातार।
पैसे हो तो मनुष्य बन जाता है गले का हार; देख लिया, चारों ओर है व्यापार।
ऐ मालिक, देखना, इन रिश्तों पे से, उठ न जाए, इस जिवका ऐतबार।

इनसान की हैसियत देखके रिश्ते बदलते हैं अपना रंग
पैसा और पावर हो तो चलते हैं सब उस इंसान के संग संग।
पैसा कम होते ही, रिश्तेदार बदलने लगते हैं अपना रंग;
अपने हो जाते है पराए, यह देखते हो गई मै दंग।

अपने कौन और कौन पराये, यह वक्त बता जाता है पलमे हमें ।
दिल में तो क्या, घर में भी नहीं आने देते हैं अब हजूर तुम्हे।
यह रंग बदलती दुनिया के, रंग समझ न आए हमें।
जब अपनों ने ही किया पराया, तो अब हम क्या कहे  तुम्हें ?

Armin Dutia Motashaw
ऐ खुदा,

क्यों रिश्तों का हो रहा है आजकल व्यापार?
जो इंसानों में बसता था; कहां खो गया वोह प्यार?

ओ जग के मालिक, क्या पूछ सकती हूं तुझे यह सवाल;
यह क्या हो गया है, तेरी दुनियां का हाल ?

हर जगह जूठ, हर पल धोका, हर रिश्ता खोखला।
यह रिष्टोका खोखलापन देख के , इंसान  गया है बौखला ।

घर छोटा हो सकता है पर दिल छोटा हो तो कोई क्या करें ?
दिल मतलब से भरा हो, जुबां पे कुछ और हो; तो कोई क्या करें ?

दोस्तो पे, संबंधीओ पे, अरे पति- पत्नी और भाई, बहनों पे कर नहीं सकते ऐतबार ।
यह क्या हो गया, अब कहां जा के रुकेगा यह पापो से भरा संसार ?

आग लगा दे, सब को उठा ले, क्यो रहें कोई इस  सडी हुई गंदगी में ।
त्याग कर यह पापी जहान, ध्यान लगाए हम अपना, तेरी बंदगीमे ।

Armin Dutia Motashaw
दिल आज फिर है बेकरार,
खो रहा है रिश्तों पे ऐतबार

टूट रहे हैं एक एक कर के, तार;
अब बेकार होने लगी है यह सितार

लगता है सब नकली, किसपे करें एतबार
दर्द से है भरा सिना, क्यों कि ठोकर खाते है बार बार ।

Armin Dutia Motashaw
लगाम

अपने जीवन की लगाम रखना तु, अपने हाथों में

और रखना अपने पैसे संभलकर, बैंक के खातों में ।

बुढ़ापे में दोनों आएंगे काम तुझे; कहती हूं बातों बातों में

सौंपना न तु कभिबी तेरा वजूद किसी गैर के हाथोमे ।

Armin Dutia Motashaw
लंबी रात

बड़ी लम्बी और तन्हा लगती है यह रात;

जब जब पिया मोरे, नहीं होते हैं मेरे साथ ।

बहार गई, मुरझाए फूल, अब तो अाई बरसात

सावन आया, झूले पड़े, पर पिया नहीं मेरे साथ

बिरहन को तड़पाना;  पिया, यह क्या हुई बात !

चाहूं मै जीवन भर सुनूं, तोरी मुरलिया, रहूं तेरे साथ
पिया यु न तड़पाओ, यू न तरसाओ; छोड़ो न साथ

चांद को चांदनी पुकारे, राधा कहे कान्हा पकड़ लो मेरा हाथ

छोड़ो न यू अकेली, बड़ी लम्बी है बिरहा की यह रात ।

Armin Dutia Motashaw
"वक्तने किया क्या हसीन सितम".... आज की तारिखमे, कितना सही है यह गीत

कॅरोना ने छीन लिया है, हर किसीका सुख चैन; हार ही है, कहीभी दिखती नही है जीत

चारों ओर है भयंकर बीमारी और मोत फड़फड़ाती है हर दिये की जीवन ज्योत

हर मानव, डर के जी रहा है; न जाने कब आये उसको या उसके अपनोको मोत

डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय की जान को रहता है सतत मोत का खतरा, फैली है एक दहशत

न जाने कब आ जाये मोत का फरिश्ता, लगाने उन्हें गले; यह मौतके खेलमे, होती है चित्त या पट

ऐ मालिक मेरे, याचना करू मैं तुझसे, यह दुनियां है तेरी, अब तू ही उसे बचा सकता है

माफ कर दे तेरे इस इंसांको, घमंड उसका चकना चूर हो गया है; अब देख, वो बिलखता है ।

Armin  Dutia Motashaw
वक्तका तकाज़ा

जो थकते नहीं थे तुम्हे साब-साब करते,
न जाने वो सब आज, कहाँ खो गए

और मैं भी जीने समझती थी अपना, अब बन गए हैं एक सपना;
न जाने वो सब कहाँ खो गए

Shez और Annu के सिवाय, कोई रहा नहीं है अपना, वही रोज़ याद करते हैं; क्या कहु अब; वो अपने, न जाने सब कहाँ खो गए

किसीको भी वक्त नहीं है, सब अपने काममें है मशरूफ; इस लिए,
शायद वो कहीं खो गए है

जो चला गया, उसकी, यानेकि तुम्हारी जिम्मेदारी थी मैं; शायद यह ही है वक्तका तकाज़ा; इसी लिए,
वो सब कहीं न कहीं खो गए

वो ज़माना अलग था, जब अपना कोई अकेला न पड़ जाए यह लोक देखते थे;
न जाने वो ज़माना आज कहाँ खो गया, दूर दूर कहीं चला गया।

वक्त का यह तकाज़ा मुझे मंज़ूर हो न हो; झेलना तो यह गम पड़ेगा;
न जाने वो वक्त कहाँ खो गया

Armin Dutia Motashaw
एक सिपाही, एक सैनिक का वचन

ऐ दुश्मन, लड़ेंगे तुमसे, हम बनके यम।
आजादी के मदमस्त परवाने है हम।
हमारी निष्ठा कभी भी होगी न कम ।
मौत पे हमारी, हमें न होगा गम

ऐ देश वासियों, हर पल तैयार है हम;
सोचना हमें  औरोसे कभी न कम।
देश की इज्जत, देश की ताक़त है हम।
लहराएंगे तिरंगा गगनपे, बड़ी शान से हम।

है यह एक भारतीय सैनिक का वादा
बुलन्द है हर पल, हर हमेशा हमारा इरादा।
सनमान नहीं चाहते हम कोई ज्यादा; चढ़ाना एक शूलोकी माला।
बस अपने बच्चोंको बनाना शूरवीर, इतना करो वादा।

Armin Dutia Motashaw
एक सिपाही, एक सैनिक का वचन

ऐ दुश्मन, लड़ेंगे तुमसे, हम बनके यम।
आजादी के मदमस्त परवाने है हम।
हमारी निष्ठा कभी भी होगी न कम ।
मौत पे हमारी, हमें न होगा गम

ऐ देश वासियों, हर पल तैयार है हम;
सोचना हमें  औरोसे कभी न कम।
देश की इज्जत, देश की ताक़त है हम।
लहराएंगे तिरंगा गगनपे, बड़ी शान से हम।

है यह एक भारतीय सैनिक का वादा
बुलन्द है हर पल, हर हमेशा हमारा इरादा।
सनमान नहीं चाहते हम कोई ज्यादा; चढ़ाना एक शूलोकी माला।
बस अपने बच्चोंको बनाना शूरवीर, इतना करो वादा।

Armin Dutia Motashaw
वतन हमारा

हमारे घर से फेंक दिया बाहर हमें;
सोचो जरा, हम कैसे माफ करें तुम्हे ।

खुद बन बैठे मेजबान; और फिरते हैं हम बनके बेघर, आवारा,
छोड़ कर वह जन्नत, था जो हमे, हमारे जान जीतना प्यारा ।

आप खुश हो के मना रहे हो, आपकी जीत;
और बच्चे हमारे, अपनी संस्कृति से है वंचित ।

जन्नत जैसा घर था हमारा, नैसर्गिक और बहुत प्यारा ।
आज तरस रहे हैं हम, लौटने के लिए वहां, दो बारा ।

हमारी स्थिति पे रो रहे हैं हम, पर आति नहीं तुम्हे दया ।
धरती हमारी छीनके, अब बनाओगे तुम यहां तुम्हारा आशिया ।

भूलना मत, यह माता है हमारी, कभी न बना पाओगे उसे तुम्हारी ।
भूलना नहीं, यह माता हमारी, है हमें, हमारे जान से भी प्यारी ।

उसकी चाह में, उसकी याद में, हम आज है बेकरार;
भले आज रोते हैं हम ज़ार ज़ार, लेे के रहेंगे हम उसे, फिर से एक बार ।

Armin Dutia Motashaw
वन्दे मातरम्

जाने कहां गया, आजादी का जज़्बा आज ;

चुप हो गई है, वो "वन्दे मातरम्" के नरों की आवाज़ ।

काश होता जिंदा हमारा वो जज़्बा, आजभी ;

काश गूंजती "वन्दे मातरम्" के नारों की आवाज़ भी ।

कहां गए वो आज़ादी पे मर मीटनेवाले परवाने;

खेली थी खून की होली, वो निडर मस्ताने ;

जाने कहां गया वो जज़्बा वो जुनून !

वो वीरों जिन्हें मिलता था मौत में भी सुकून ।

आज छाई है बेताबी, एक अनचाही उदासी ।

मानो अंग्रजोंने फिर एक बार, छीन लि हो, हमारी झांसी ।

लगता है, मर गई हो एक बार, फिर वो बहादुर रानी,

एक बार फिर खत्म होने को है, आज़ादी की कहानी ।

जागो ओ नवजवानों, गहरी नींद से अपनी जागो ।

जातिवाद, कोमवाद, आरक्षण के पीछे मत भागो ।

माता हमारी एक है, उसको सब मिलके बचाओ ।

सब द्वेष, सब भेद भाव मिटाके, आजसे, अभिसे, एक हो जाओ ।

वन्दे मातरम्

Armin Dutia Motashaw
थी वो अति कोमल, जैसे नाम था वैसे ही था हृदय भी कोमल

हसती थी, खिललाती थी, जैसे सुबाह की हो कोमल धूप ।

मात पिता की थी वो लाडलि, भाई बहनो की थी वो दुलारि;

उसकी सहेलियां उसे चिढा कर बुलाते थे नाजुक नार

शादी के बाद बदल गया सब कुछ;  ससुरालमें उसपर छुटतेथे तीर अपार;

ससुराल आते ही, रहने लगी वो बुझी बुझी, उदास और बेकरार

कोमल दिल, कोमल काया, और मन भी था अति कोमल जो हो जाता था घायल ।

वाग बाण सुनकर, कोमल के  कोमल हृदय पे लगते थे घाव, जैसे तिक्क्षण तीर  ।

लगती थी नाज़ुक जिगर पे ठेस, पर चुप चाप सेहति रही वो पीड़ ।

मानों कोई नहीं था उसका  भले थी आजू-बाजू स्नेही जनों की भीड़

टुटे सपने, टूटी पायल, कोमल होती रही वाग बाणो से घायल

कब तक जारी रहेगा यह सिल सिला, कब तक ! कब तक ! कब तक !

खुद ही बडबडायि, जब तक है श्वाष तब तक, तब तक, तब तक !

Armin Dutia Motashaw
वाणी आपकी

वाणी आपकी, दिल जोड़ सकती है, या दिल तोड़ सकती है ।

रूजु, कोमल, होता है दिल; एक टूटे दिल को जोड़ना, भक्ति होती है।

सोच के प्रयोग करें शब्दों का, इनमें बड़ी गहरी, शक्ति है ।

यह हरएक को है पता, दिल किसिका तोड़ना, बहुत ही, है आसान;

पलभर में, दुखी कर सकते है हम, एक नाजुक सी, सूखी जान ।

याद रहे, कभी न नष्ट करना, किसी का मान सनमान और स्वमान ।

कभी न तीखे, जहरीले बोलो से, तोड़ना कीसिका दिल।

एक टूटे हुए दिल को जोड़ना होता है बहुत ही मुश्किल ।

मरहम लगाना इतना नहीं है आसान, धीरे से भरता है घाव, तिल तिल ।

बोलने से पहले, गर इंसान सोचे, तो कितना सूखी होता, यह संसार ।

जो हमे सुनने में हो पसंद, वहीं सुनाइए सबको; करे न शब्दों से प्रहार ।

शब्द को कभी बनाना नहीं कांटो का हार, दीजिए सभी को, फूलों का उपहार ।

Armin Dutia Motashaw
बिरहा की वेदना

कातिल होती है बिरह की वेदना,

बड़ी ही दर्दनाक है यह संवेदना ।

प्रेम प्यासी तरसे, अखियों से बादल बरसे ,

तेरे दर्शन हुए, बीत गए हैं अरसे ।

चंदा जब निकलता है बादलओ की ओट से,

चली आती है याद तुम्हारी, पहाड़ियों की चोट से

कातिल होती है बिरहा की वेदना

समझेगा न कोई, मेरी संवेदना

Armin Dutia Motashaw
वो हवा भी प्यारी है, जो  छू के तुम्हे आती है

पर दर्द होता है जब वो  मुझे छू कर, चली जाती है ।

प्यार तो बस हो जाता है, उसे करता कहां है कोई ;

यादों के सहारे जिवन बिताते है अब, जो बडे  प्रेम से है संजोयी ।

फना हो गये हम तुम्हारे प्यार में, जिवन कर दिया तुम्हारे नाम;

और अब तुम्हारे इश्क़ में हो गये अपनी  मर्जीसे  बदनाम ।

Armin Dutia Motashaw
वंदन हर शहीद को

करती हूं मै अश्रु भरी आंखो से अर्पण आपको श्रद्धांजलि प्रिय बापू, हमारे पूज्य राष्ट्र पिता ।

और श्रद्धांजलि हर वीरको, जिसने की कुर्बान अपनी जान; जो जान हार के भी जीता ।

अमर रहे हर शहीद, और कोटी कोटी धन्यवाद उनके परिवार का ।

कर्ज रहेगा आपका, हर भारतीय पर उधार, और कर्तव्य होगा सरकार का

निष्ठा से जो पालन करना होगा, हर हालमें हमें, हर हिन्दुस्तानी को ।

तब भी उतार न पाएंगे हम यह कर्ज, आपकी कुर्बानी का ।

खुशनसीब हैं वो देश, जिसके वीर हो ऐसे बाहदुर और निडर ।

स्वीकार हो उन्हें मेरी अश्रु भरी श्रद्धांजलि, करती हूं जो मै, हाथ जोड़ कर ।

जय हिन्द, अमर रहे हर शहीद ।

Armin Dutia Motashaw
🤵🏻‍♀️🤵‍♀️ शक्ति

ऐसे तो कहते है औरत को शक्ति, पर सच में मानते नहीं, देते नहीं उसे सम्मान ।

बहुत से मर्द, उसी शक्ति के उपर, शक्ति जताना, समझते है अपनी शान ।

औरत की सुंदरता पर, वही, शक्ति की युवानी पर, खो देते हैं अपना आपा और ईमान ।

कभी कभी तो बन के दानव, उसे छिनभीन करने के बाद, ले लेते है उसकी जान।

औरत कहो, या नाम दो उसे शक्ति, उसकी मासूमतामें ही, बसती है उसकी इज्जत और आन।

हर लड़की को आदर से देखने का, उसे सम्मान देने का, हर मर्द को भगवान से मिला है फरमान ।

हे शिव पार्वती, आज विमेन्स डे और शिवरात्रि पर, हर शक्श को, हर स्त्री की सुरक्षा करनेका देना वरदान ।

Armin Dutia Motashaw
(SHAHEED DIVAS) शहीद दिन

अपने शहीदों को प्रेम भरे श्रद्धा सुमन समर्पित करती हूं मैं आज

उनके मात पिता को  साष्टांग नमस्कार; यह चंद शब्द है, मेरे भाव भरे अल्फाज़

उनकी अर्धांगिनी,  उनके बच्चों का कल्याण भूले नहीं हम यह है कर्त्तव्य हमारा; हमारा काज

हर देशवासि को उनके सम्मान में एक छोटा-सा सद कार्य करना होगा आज

एक अच्छे कार्य से, मन ही मन वंदन करके, हर शहीद को पहनाए एक ताज

प्रेमपूर्वक समर्पित करती हूं दिल हृदय से हर शहीद को मेरे श्रद्धा सुमन

Armin Dutia Motashaw
एक शायर में होती है शम्मा की आग

और परवानेकी तरह वो जलके हो जाता है खाक

दिल होता है उसका मोम जैसा, पिघल जाता है पल भर में

आंसु उसकी आंखों से बहते है गैरोका दुख देख कर, पल मे

कोमल ह्रदय और बेहती आंखे होती है एक शायार् की निशानी

और बड़ी मधुर और रस्प्रद होती है उसकी वाणी

एक कवि की कल्पना होती है बड़ी रंगीन, हसीन और काल्पनिक

रसीले वर्णन करते हुए थकती नहीं कभी भी एक कवि की कलम

Armin Dutia Motashaw
शुभ दीपावली

तन की तंदुरस्ती,
मन की शांति,
ह्रदय में प्रेम का स्रोत बसे,

देश में धन, धान्य समृद्धि रहे, हमारे फौजी वीर सलामत रहे।

दुनियां में कोई नंगा,भूखा न हो, प्यासा न हो; सब को एक घर का आश्रय देना प्रभु।

बच्चे बेसहारा और अनाथ न हो, बूढ़े मात पिता को, बच्चों का साथ हो।

सारी दुनियां में हो अमन, प्रेम और शांति हो; सब को सनमति, सद्बुद्धि देना दाता।

हे ईश्वर, यही है आपसे मेरी याचना, मेरी बिनती , मेरी प्रार्थना।
शुभ हो दीपावली, और सुखमय हो पूरा साल।

Armin Dutia Motashaw
And Family
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शुभ दीपावली

इस दिवाली पर,  जब दीप जलाये,  तब दिल का दीप भी अवश्य जलाना;

याद रखके, कोई एक या दो भूखे बुजुर्गो को दो चार रोटी जरूर खिलाना ;

एक या दो बच्चों को, एक जलेबी, लड्डू या पेड़ा जरूर खिलाना

अपने बुजुर्ग मात पिता के चरण स्पर्श कीजिएगा, अपने हाथों से, कोई मिष्ठान खिलाना

दिवाली अपने आप शुभ हो जाएंगी; इस तरह, आप अपनी खुशिया मुफ्त में घर लाना I

अनार की शुभ कामनाएँ स्वीकार कीजिएगा I

Armin Dutia Motashaw
शुभ  धनतेरस

मा लक्ष्मी शुभ कारक धन जीवनमे लाए,

मा शारदा सरस्वती विद्या और बुद्धि फैलाए,

गणेशजी सारे विघ्न दुर करे और खुशी छलकाए

Armin Dutia Motashaw
સુખ જે આટલાં વર્ષોમાં ન શીખવાડી શક્યું, તે દુખ એક પળમાં શીખવાડી ગયું

કોણ આપણું કોણ પરાયુ, કોણ સાચું સ્નેહી અને કોણ તમારી સાથે રમત રમી ગયું

Armin Dutia Motashaw
सपना जो हुआ न अपना

मेरी प्रीत बनके रह गई एक सपना

प्रीतम, तु बन न सका कभी अपना

अब तो रह गया है जीवनमे बस नाम तेरा है जपना।

यह कैसा था सपना, जो हो न सका कभी भी अपना

Armin Dutia Motashaw
सपनो के सौदागर है हम

सपनोको, ख्वाहिशों को, कहां होती है लगाम ?

देखने वालों पर होता नहीं कोई इल्जाम ।

सपने देखते हैं हम दिन में, बिन पिए जाम ।

काश सूरत होती मधुबाला जैसी, नहीं ऐसी आम ।

और गीत संगीत में होता हमारा लताजी जैसा नाम।

काश हमभी गुलज़ार जैसी कविता लिख लेते सुबह शाम ।

मिल जाए काश हमें भी अपनी सपनों की मंज़िल, और मुकाम।

दुआ करो यारो हमारे लिए, हो जाए हमारा काम ।

Armin Dutia Motashaw
समय की धारा

समय की धारा, सदियों से बस बहती जाए;

न धीमी, न तेज, बस एक धार बहती जाए ।

वक्त की नदी, जो एक धारा, बहती जाए ;

मानव के हिसाब के सुख दुख उसे देती जाए।

मानव न उसे रोक सके, न थाम सके;

न वोह उसे मोड़ सके, न अंजाम दे सके ;

समय की धारा, न किसी के लिए रुकी है ,

न वोह कभी किसी के लिए रुकेगी ।

पर मन चाहता है सुख की धारा लंबी बहे

और दुख की नदी, जल्द से जल्द, चलती बने ।

उमर कटती रहे, घटती रहे, पर समय की धारा;

यह नदी सदा बहती रहे, मुड़के आए न दुबारा ।

इसी लिए, तु, हे मानव, समय के साथ;

बहना सीख, चला अपने पांव और हाथ।

समय होता है बड़ा किम्मती, जैसे एक मोती

हे मानव, जल्द से जल्द जला ले मनमंदिर में ज्योति ।

Armin Dutia Motashaw
सहारा

हर एक को चाहिए किसी का सहारा

चांदनी लेती है चांद का सहारा

नदी लेती है सागर का सहारा

सूर्यमुखी खिलता है ले कर सूर्य का सहारा

और कमल लेता है चन्द्रमा का सहारा

तरुलता चाहती है वृक्ष का सहारा

पशु, पंखी , मानव हर कोई ढूंढता है सहारा

ऐ खुदा, आप बन जाइए मेरा सहारा ।

Armin Dutia Motashaw
श्रद्धा और सबुरी सीखने, मै द्वार तेरे हु आइ

कश्ती मेरी है मझधार बिना तेरे, स्थिर नहीं, वो है डगमगाई

आश्रय देदे, शरण में तेरे मुझे अब ले ले, ओ मेरे साई

जानु नहीं, इस दो रंगी दुनियामें सच्च है क्या, और क्या है एक परछाई

कृपा बरसाना मुझपे, सदा साथ रहे तेरा, ओ मेरे साई

दिखता है स्वार्थ चहु ओर, विपदा जीवनमे है छाई,

अकेलापन है, जीवनमें है उदासी और कठिनाई

बस अब तू ही है सहारा, सब कुछ है तेरे हाथ, ओ साई ।

Armin Dutia Motashaw
साथ

नाज़ था हमें जिनपर वो धीरे धीरे, रिश्ता तोड़ चले है ।

मात पिता जिनपर हम निर्भर थे, हमें छोड़ कर चले गए हैं।

भाई बहन जिनसे था नाता दिलका, वो भी मुंह मोड़ चुके हैं

अरे , अब तो तन ने भी साथ निभाना छोड़ दिया है ;

धीरे धीरे, साथ हमारा, हमारे ही अंग छोड़ चले है ।

आंखे हो रही है धुंधली, कानभी वादा तोड़ रहे हैं।

केश सफेद हो रहे है, और आइना झुर्रियां बता रहा है ।

दांतों ने तो धोका दिया है,
टूट गए हैं; जिव्हा भी नखरे दिखा रही है।

दिल, जिगर, फेफड़े जिन्हें समजते थे हम अपने;

घुटने, हाथ पैर सब छोड़ रहे हैं साथ; दिखा रहे है जूठे सपने

इसी बात का है दर्द मुझे, छूट रहा है अपनो का साथ ।

खुद के बुड्ढे शरीर को देख कर, होता नहीं है विश्वास !

कैसे जिएंगे ऐ प्रिय जनो तुम बिन, मुश्किल न हो जाए, लेना श्वाश ।।।

Armin Dutia Motashaw
एक साये से मैंने प्यार किया;
अब यह मत पूछो, मै कैसे जिया ;
और मैंने ऐसा प्यार क्यों किया ?

बस आंखे मिलते ही दिल दिया;
और दुनिया भर का दर्द, मुफ़्त में ले लिया ।
ये न पूछो मैंने ऐसा क्यों किया ?

Armin Dutia Motashaw
मुस्कुराने जाऊ तो आंसु टपक जाते है;

फिर इन्हें पोंछ कर, मुस्कुरा देती हूं;

अब तक, यह सिलसिला जारी है।

Anar
दिल की पुकार

डरती हूं, पत्थर न बन जाए यह मेरा मोम जैसा दिल

तनहाई और दुख सेह कर हालात बन गए हैं जटिल

प्यार बिना, यह तनहाई बना न दे मुझे बेदिल

सुना है, बिना माया और प्यार के, बनते हैं कातिल

जिंदगी में आगे क्या लिखा है, जानता नहीं कोई

पर हर किसीने है, आशाएं और तम्मनाए संजोई

सुरीले सपनों की एक हसीन दुनिया है बोई

जो मिटने को है, यह देख कर, मैं मोती जैसे आंसु रोई !!!

जब अमावसया का अंधेरा छा रहा है चहू ओर ;

चांद को छुपा दे ऐसे काले बादल, छाए है घनघोर

जब आंधी तूफ़ान मचा रहे हैं जोर जोर से शोर

तब क्या करे यह दिया; उसमे कहां इतना जोर ?

उसे न घमंड है न किसी भी बात का है गुरूर ।

क्या तु मदद करेगा; या देखेगा तमाशा बैठ के दूर

क्या अभी भी चुप रहेगा तु; या भेजेगा कोई हुर

पुकारती हूं आपको तहे दिलसे, ऐ मेरे हुजूर

Armin Dutia Motashaw
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