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May 2021
"वक्तने किया क्या हसीन सितम".... आज की तारिखमे, कितना सही है यह गीत

कॅरोना ने छीन लिया है, हर किसीका सुख चैन; हार ही है, कहीभी दिखती नही है जीत

चारों ओर है भयंकर बीमारी और मोत फड़फड़ाती है हर दिये की जीवन ज्योत

हर मानव, डर के जी रहा है; न जाने कब आये उसको या उसके अपनोको मोत

डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय की जान को रहता है सतत मोत का खतरा, फैली है एक दहशत

न जाने कब आ जाये मोत का फरिश्ता, लगाने उन्हें गले; यह मौतके खेलमे, होती है चित्त या पट

ऐ मालिक मेरे, याचना करू मैं तुझसे, यह दुनियां है तेरी, अब तू ही उसे बचा सकता है

माफ कर दे तेरे इस इंसांको, घमंड उसका चकना चूर हो गया है; अब देख, वो बिलखता है ।

Armin  Dutia Motashaw
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   Benzene and Nidhi Jaiswal
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