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513 · Oct 2018
बची हुई आस
Sefali Rani Oct 2018
हार तो मुझे ना थी मंजूर
पर हार तो गई थी मैं
उस हार की वजह ना थी कुछ और
कमी थी मेरे ही इरादों में ।।

अपनी गलती को झुटलाना नहीं चाहती
और वो गलती दोबारा दोहराना भी नहीं चाहती
इसलिए तो दूरी बना रही हूँ मैं उन सबसे
ताकि खो ना दूँ मैं वो बची हुई आस ।।

समझ में आती है मुझे बस एक ही बात
है बची मेरे पास बस एक ही आस
अगर खो दिया मैंने वो बची हुई आस
तो कभी खुद को जोड़ ना पाऊँगी बस इतनी सी है बात ।।

बहुत सुन चुकी हूँ मैं सबकी बात
अब बस शांत ही रहना है मुझे
किसी को भी ना देना है मुझे कोई भी जवाब
खुद को खुद में ही बस जगाना है विश्वास ।।
171 · Oct 2018
Placed
Sefali Rani Oct 2018
That afternoon he was eating,
Thinking of rectifying the unwitting-
“Twelve written cleared,nine interviews faced,
Yet I am not placed!”

Perturbed and heavy-hearted as he was,
As if the life has paused;
An unread message just popped-
‘Candidate, you are placed.’

At home the phone rang-
“Dad,I am placed!”
Unconscious of his leg pain,jumped off his bed;
Rhapsodically called his wife,-
“Look finally our child is placed!”
Next room his sister sat,
Dancing was the only way she could react.

Finally the dawn has arrived,
Efforts have been prized.
“Everything shall fall into place one day”
Someone has rightly conveyed!

— The End —