भुला देना मेरे हृदय से
तुम्हारे हर एक यादों को
उन फरियादों को, मुलाकातों को
उन हर एक नजारो को
खुद को, मुझ को, हम सब को।
भुला देना तुम हमारी
उन पहली मुलाकातों, उन पालो को
जो बिताएँ थे साथ-साथ
भुला देना तुम
उस साथ को, मुलाक़ातों को
दो पल को, और हम को।
तुम तो जीलोगी
किसी और की यादों में
यादों में मेरे सताओगी मुझाको
तन्हा रुलाओगी
हर पल, हर दिन
यादों को लेकर तड़पाओगी मुझको।
कुछ दिन तो लगेंगे मुझे
तुम्हें भूल जाने को
तुम्हारी उन यादों को, हर मुलाकातों को
मेरे दिल से मिटाने को।
तबतक तड़पूंगा
जी भर के रोलूंगा s
तुम्हें याद करूंगा
तुम्हारे लौट आने का
खुदा से भी फरियाद करूंगा। पर....
भुला देना तुम अपने दिलो से
मेरी तड़प की आवाज सुनने की चाहत को
मेरी बेचैनी,
तुम्हें पाने की चाहत और
मेरी आंखो में आँसू देखने की
अपनी तमन्ना को।
भुला देना मेरे हृदय से
तुम्हारे हर एक यादों को
उन फरियादों को, मुलाकातों को
उन हर एक नजारो को
खुद को, मुझ को, हम सब को।
भुला देना तुम, भुला देना।
-संदीप कुमार सिंह