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Armin Dutia Motashaw
Poems
Dec 2022
भक्ति
भक्ति
वृद्धावस्ता में हो जाती है जब क्षीण मानव की सारी शारीरिक शक्ति;
तब पल पल काम आती है उसे, उसकी सालों से की हुई भक्ति
हम कितने भी हो व्यस्त भगवंत, देना हमें भक्ति के लिए, थोड़ीसी शक्ति
और देना श्रद्धा और सबुरी, ता की कर सकें हम तनमन से भक्ति
आयुष्य हो जितना भी, तह दिलसे कर सके भक्ति, इतनी देना दाता हमे शक्ति
शरीर को अब लगने लगी है अशक्ति, पर देखना, इस लिए कम न हो जाये हमारी भक्ति
Armin Dutia Motashaw
Written by
Armin Dutia Motashaw
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