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Aug 2021
बादल गरजे बिजली चमके
सावन बरसे सब कुछ सरसे
मयूरा नाचे पपीहरा बोले
पीहू पीहू की ध्वनि गूंजे
      घुंघट पार साजन ही सूझे

हरियाली ने सेज बिछाई
तितलियां रंग भरने को आई
देख देख कर मैं शर्माई
सखियां करें सवाल अनूठे
‌        जवाब इनका एक न सूझे

साजन लगे सरोवर सा प्यारा
मेरी आंखें चंचल लहरें
रह - रह कर साहिल पर ठहरें
यह प्यार की पहेली कैसे सुलझे
       साजन मेरे सीमा पर उलझे।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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