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Jun 2020
लाल है प्यार का रंग
लाल जुड़ा है खतरे संग
लाल बनाए आकर्षक
लाल ही इश्क के ढंग
यों तुम लाल लिबास पहनकर
हम पर बिजलियां गिराया ना करो।

इन बालों को भी यों बांधा ना करो
अगर बांधो तो फिर खोला ना करो
और खोलो तो फिर देखने से रोका ना करो
जब इन्हे बांधते हो तो
तुम्हारा भाल चंद्र सा लगता है
खोलते हो तो हमारे दिल में
ज्वार सा उठने लगता है
चंद्रमा के चरित्र को
यों उजागर किया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो

कैदखाना हैं बिन सलाखों का
ये तुम्हारी दो आंखें
उठती आंखें दुआ बनती
झुकती बनती अदा ये आंखें
यों इनमें काजल लगा कर
और गहरा बनाया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो

तेरे ये सुर्ख होंठ
कभी गुलाब लगते हैं
कभी लगते हैं शोले
इनकी शरारती मुस्कानों पर
हमारा ईमान डोले
यों इन्हें सुर्ख बनाया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो

तेरे गालों पर पड़ते ये गड्ढे
इन पर जो फिसले फिर ना उबरे
जमाना बहुत खराब है
कोई इन्हें "क्वारंटाइन" केंद्र ना कह दे
इन गड्ढों पर लगाम लगाया करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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