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Sparkle in Wisdom
Poems
Apr 2020
पत्थर की गुड़िया
अगर तुम साथ दे देते,
तो मैं वफा कर जाता
बेवफा इस दुनिया में
तुम्हारा नाम कर जाता।
तुम्हारी एक हंसी के लिए
दुनिया से लड़ जाता,
अगर तुम हाथ पकड़ लेती,
मौत से भी भिड़ जाता।
अब तो बस अलविदा के पहले,
तुमको नज़र भर देख रहा हूं,
गुज़रे वक़्त के कई सवालों को
पूछने से रोक रहा हूं।
पर फिर भी,
तुम्हारी आंखें दगा दे रही है,
और इसीलिए,
यूं ठहर के बस एक ही सवाल है,
क्यूं यह नज़र शर्मसार है?
सिर्फ साथ मांगा था,
हर आज़ादी के साथ,
जो तुम साथ दे जाते,
दुनिया से लड़ जाता।
उम्र भर तुम्हारी आंखों में
ज़िन्दगी तलाशता रहा,
मेरी उम्र के अंतिम पड़ाव में
ख़ुशी झलक रही है उनमें।
जिस चिंगारी को उसकी नज़रों में अपने लिए तलाशा था,
वह मेरे गुजर जाने से आएंगी,
सोचा ना था।
क्या मांगा था तुमसे
सच्चा प्यार ही तो ना?
नहीं था तो कह देती,
यूं झूठी उम्मीद में तो ना रहता।
आज मर के भी सुकून नहीं,
जीते जी भी कहां सुकून था,
मोहब्बत खोजता रहा जिसमें
वह बेवफा निकली।
पूरी उम्र जिस शक्स से दिल लगा बैठा,
पूरी ज़िन्दगी में जिसमें जीने की चाह ढूंदा,
आज जा कर पाता चला,
वह तो पत्थर की गुड़िया निकली।
Sparkle In Wisdom
३०-४-२०२०
Written by
Sparkle in Wisdom
43/F/West Africa
(43/F/West Africa)
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