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Apr 2020
तेरे बिना यह जिंदगी मिल भी जाए तो क्या है?
सिर्फ एक खामोशी का मंजर
और दिल में तेरी याद का खंजर है।
एक तो धुंधलाती यादों का साया
दूसरा यह जीवन का सुनसान सा दोपहर ।

क्यों ये दिन रात होते हैं?
जबकि दोनों का मेरे लिए एक ही मतलब है
धन दौलत खैर ख्वाहिश
तब तक लगते अच्छे थे
जब तक तुम हमसफर थे।

जीवन जुगनूओं का रंगमंच है
एक शम्मा की लौ के बिना 'शो' होता नहीं
जलने का जज्बा आता नहीं
पिघलते हैं दिल के अरमान
जब दिल में ही तो
निकलते हैं आंखों के रास्ते
यही है जिंदगी का बेबस मंजर
और दिल में तेरी याद का खंजर।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
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